उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सावन के महीने में काँवड़ यात्रा की रूट में पड़ने वाले सभी दुकानों-ठेलों के संबंध में आदेश दिया है कि डिस्प्ले बोर्ड पर इनके मालिक का नाम भी लिखा जाए। ये फैसला सभी मजहब-जाति के लोगों के लिए है, लेकिन इस्लामी कट्टरपंथियों को इससे मिर्ची लग गई। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी TMC के नेता फिरहाद हकीम ने भी इस पर आपत्ति जताई है। फिरहाद हकीम दिसंबर 2021 से ही कोलकाता के मेयर हैं।
फिरहाद हकीम ने यूपी सरकार के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि राज्य में अन्याय हो रहा है। कोलकाता के मेयर ने कहा कि कौन हिन्दू है और कौन मुस्लिम, ये हम क्यों लगाएँगे? उन्होंने कहा कि इंसान, इंसान की सेवा करेंगे। फिरहाद हकीम ने कहा कि कोई फल बेच रहा है तो वो इंसान है, जिसे मन करेगा वो उससे खरीदेगा। उन्होंने कहा कि ‘इधर धर्म का खरीदेंगे, इस धर्म का नहीं खरीदेंगे’, ये गलत हो रहा है। उन्होंने इसे हिंदुस्तान की संस्कृति पर प्रहार करार दिया।
#WATCH | On the instructions to put 'nameplates' on food shops on Kanwar routes in Uttar Pradesh, West Bengal Minister & Kolkata Municipal Corporation Mayor Firhad Hakim says, "This is wrong, injustice is happening in Uttar Pradesh. Who is a Muslim, who is a Hindu, if someone… pic.twitter.com/5D986xtiwI
— ANI (@ANI) July 20, 2024
ये वही फिरहाद हकीम हैं, जिन्होंने 2 हफ्ते पहले सार्वजनिक तौर पर उन्हें इस्लाम कबूल करने का आह्वान किया था। बता दें कि वो कोलकाता के मेयर होने के साथ-साथ पश्चिम बंगाल सरकार में शहरी विकास एवं नगरपालिका मामलों के मंत्री भी हैं। वो एक बार अलीपुर और तीसरी बार कोलकाता पोर्ट से MLA बने हैं। उन्होंने कहा था, “जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए, वे बदकिस्मत हैं। अगर हम उन्हें दावत (इस्लाम कबूल करने को कहना) दे सकें और उनमें ईमान (इस्लाम के प्रति निष्ठा) ला सकें, तो हम अल्लाह को खुश कर पाएँगे।”
बता दें कि विपक्षी दल भी योगी सरकार के इस फैसले पर उँगली उठा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जहाँ मुस्लिमों को खाने में थूकते हुए और फलों को पेशाब वाले पानी में धोते हुए देखा गया। जो लोग ‘हलाल’ के मुद्दे पर चुप रहते हैं, वो भी विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम अक्सर ‘हलाल’ सर्टिफाइड खाद्य पदार्थ खोजते हैं। काँवड़ियों के लिए तीर्थयात्रा में शुद्धता आवश्यक है और इसीलिए योगी सरकार ने ये फैसला लिया है।