महाराष्ट्र की कमान संभालने के 100 दिन बाद मुख्यमंत्री तथा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शनिवार को रामनगरी अयोध्या पहुँचे। उद्धव ठाकरे ने अयोध्या पहुँच राम मंदिर के लिए एक करोड़ रुपए दान किया। उन्होंने शिवसेना की विचारधारा की राह भी साफ़ की। मंदिर के लिए खुद के ट्रस्ट से 1 करोड़ रुपए देते हुए उद्धव ने कहा कि रामलला का मंदिर बनाना हम सब की जिम्मेदारी है, मंदिर ऐसा भव्य बनना चाहिए कि दुनिया देखे।
अयोध्या में मीडिया से बातचीत करते समय उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र से आने वाले रामभक्त श्रद्धालुओं के लिए उनकी सरकार अयोध्या में एक महाराष्ट्र भवन भी बनवाएगी। इसके हेतु उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध भी किया। शाम करीब चार बजे रामलला का दर्शन कर उद्धव वापस लौट गए।
Maharashtra Chief Minister and Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray in Ayodhya: Today, I want to announce that not from the state govt, but from my trust, I offer an amount of Rs. 1 crore. #RamTemple https://t.co/HaoGjnu7aE pic.twitter.com/LKsWY9Ab3E
— ANI UP (@ANINewsUP) March 7, 2020
सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं रामलला का आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ आया हूँ। आज मेरे साथ मेरे ‘भगवा’ परिवार के कई सदस्य मौजूद हैं। मेरा सौभाग्य है कि पिछले डेढ़ साल में मैं तीन बार अयोध्या आ सका। मैं बीजेपी से अलग हूँ, हिंदुत्व से नहीं। बीजेपी का मतलब हिंदुत्व नहीं है।”
अयोध्या में उद्धव का परिवार के साथ सरयू आरती में शामिल होने और एक जनसभा की भी योजना थी। इसे कोरोना वायरस को लेकर गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अडवायजरी जारी होने के बाद रद्द कर दिया गया। इससे पहले आज ठाकरे परिवार के साथ लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट उतरे जहाँ से सड़क मार्ग से अयोध्या पहुँचे।
यहाँ पर यह भी याद रखना जरूरी है कि शिवसेना ने दिसंबर 2019 में भाजपा के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ अवसरवादी गठजोड़ बना महाराष्ट्र में सरकार का गठन किया था। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए शिवसेना को उस कॉन्ग्रेस से भी हाथ मिलाने में कतई गुरेज नहीं हुआ जिसने एक समय राम के अस्तित्व पर ही सुप्रीम कोर्ट के भीतर प्रश्नचिन्ह खड़े किए थे।
मजेदार बात यह है कि महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस, शिव सेना और एनसीपी गठबंधन ने जिस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर सरकार गठित की वह संविधान के “सेक्युलर” रूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है। इस सीएमपी की प्रस्तावना कहती है कि शिवसेना एनसीपी और कॉन्ग्रेस का यह गठबंधन संविधान के “सेक्युलर” मूल्यों को बचाने के लिए संकल्पबद्ध है।
हालाँकि उद्धव ठाकरे का भीमा-कोरेगाँव पर स्टैंड या राममंदिर को लेकर बयानबाजी इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि उद्धव हिंदुत्व के मुद्दे को छोड़ने को लेकर पसोपेश में हैं। ज्ञात हो कि उद्धव ठाकरे के कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ जाने के बाद से ही भाजपा और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना को घेरने में लगी है। उद्धव ठाकरे को राज ठाकरे की मनसे से ही सबसे ज्यादा खतरा दिखाई पड़ रहा है जो आजकल नागरिकता कानून समेत एनआरसी आदि मुद्दे पर बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है।
ज्ञात हो कि उद्धव ठाकरे नवम्बर 2019 में ही अयोध्या दौरा पर आने वाले थे लेकिन सुरक्षा कारणों का बहाना बनाते हुए उनकी पार्टी ने दौरा रद्द किए जाने की सूचना दी थी। उस वक़्त वो परदे के पीछे से कॉन्ग्रेस व शरद पवार की पार्टी के साथ साँठगाँठ में लगे थे।