अयोध्या फैसले के इंतजार में दशकों से उम्मीद जगाए बैठे लोगों के लिए 9 नवंबर का दिन भाव-विभोर करने वाला था। संत-महंतों की तो जैसे खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अरसे से इस फैसले का इंतजार था। उनसे पहले गोरक्षपीठ के महंत रहे अवैद्यनाथ और दिग्विजयनाथ भी रामजन्मभूमि आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिस समय सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर अपना निर्णय सुनाया उस समय योगी आदित्यनाथ की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। वे टेलीविजन पर फैसला सुनते ही तालियाँ बजाने लगे और काफी भावुक हो उठे। इस दौरान उनके साथ विश्व हिंदू परिषद के दिग्गज नेता दिनेश चंद्र भी थे।
A beaming Yogi, clapped and turned emotional as Ram Verdict came https://t.co/519uhIfb4g via @economictimes
— All Hindus With Ayappa (@ChocolateLavaC1) November 11, 2019
खबरों के अनुसार संघ प्रमुख मोहन भागवत एवं सुरेश भैयाजी जोशी, कृष्णा गोपाल और दत्तात्रेय होसबोले जैसे संघ के दिग्गज नेताओं ने भी योगी आदित्यनाथ को फोन कर फैसला आने पर शुभकामनाएँ दी। विश्व हिंदू परिषद के अंतराष्ट्रीय मुख्य सचिव दिनेश चंद्र ने कहा कि ये फैसला योगी आदित्यनाथ के दो गुरुओं (महंत अवैद्यनाथ और महंत दिग्विजय नाथ) की मेहनत का फलितार्थ है।
खबरों के मुताबिक इस फैसले को सुनने के बाद मुख्यमंत्री बेहद खुश थे और चहक रहे थे। जैसे-जैसे निर्णय टीवी पर दिखाया जा रहा था, उनकी खुशी सातवें आसमान पर थी। इस दौरान वे बेहद भावुक थे और खुशी जाहिर करने के लिए टीवी देख-देखकर लगातार ताली बजा रहे थे।
यहाँ बता दें कि योगी आदित्यनाथ इस मामले पर एक रात पहले से ही नजर जमाए हुए थे। शुक्रवार को फैसले का समय घोषित होने के बाद उन्होंने डिविजनल कमिश्नर और एडिशनल डीजीपी से अलग-अलग खुद बात की थी और सुरक्षा के लिहाज से हर तैयारी रखने को कहा था।
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ की कोर टीम के सदस्यों ने भी मीडिया से बातचीत में इस बात को कहा कि सीएम योगी के मुख्यमंत्री पद पर होने से इस मामले में तेजी आई। मायावती और अखिलेश यादव की सरकार तो 2010 से 2017 में सिर्फ़ दस्तावेजों का अनुवाद ही करवाने में जुटी थी। बतौर योगी आदित्नाथ ने ही इस अनुवाद के कार्य को 10 महीने में पूरा करवाया।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते योगी आदित्यनाथ 18 बार अयोध्या गए। बीते 27 साल में वह भाजपा के दूसरे ऐसे सीएम थे जिन्होंने रामलला को लेकर अपनी श्रद्धा दिखाने से नहीं हिचके। सीएम रहते अखिलेश यादव कभी अयोध्या नहीं गए। यहॉं तक मुलायम सिंह यादव, मायावती, राहुल गॉंधी और प्रियंका गॉंधी जैसे नेताओं ने भी अयोध्या से 1992 से ही दूरी बनाकर रखी थी।