जहाँ एक तरफ सम्राट मिहिर भोज को’गुर्जर’ बताया जा रहा है और इसे लेकर बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया है, नागौद रियासत के उनके वंशजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर निवेदन किया है कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए। ‘किला नागौद’ से लिखे गए पत्र में ‘राजकुमार’ अरुणोदय सिंह परिहार ने कहा कि ‘गुर्जर’ या ‘गुज्जर’ सबसे बड़ा और सबसे विवादित शब्द है। उन्होंने कहा कि गुर्जर शब्द का अर्थ गुर्जर प्रदेश में राज करने वाले राजाओं से सम्बंधित है, न कि किसी जाति-समुदाय से।
उन्होंने इतिहास को एक विस्तृत व विवाद का विषय बताते हुए कहा कि ‘आदिवराह’ सम्राट मिहिर भोज, नागभट्ट द्वितीय के प्रत्यक्ष वंशज थे और रामभद्र के पुत्र थे, जिसके प्रमाण स्वरूप कई शिलालेख भी मिले हैं। उन्होंने उन सिक्कों का भी जिक्र किया है, जिस पर ‘आदिवराह’ अंकित है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतिहास में कई बार ‘राजपूत’ शब्द का गलत अर्थ निकाला गया है। उन्होंने सम्राट मिहिर भोज को ‘गुर्जर’ बताए जाने का विरोध किया है।
राजकुमार अरुणोदय सिंह परिहार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित पत्र में लिखा है, “मिहिर भोज ने ‘गुर्जराधिपति’ की पदवी धारण की और ‘गुर्जर देश’ पर शासन स्थापित किया। इस पूरे क्षेत्र को गुर्जर के रूप में जाता था था, इसीलिए वो गुर्जर-प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के रूप में भी विख्यात हैं। कुछ समुदायों ने गलत धारणा और गलत व्याख्या कर के दावे किए हैं कि सम्राट मिहिर भोज उनके पूर्वक हैं – ये गलत है।”
इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि प्रसिद्ध चीनी यात्री ने भी ‘गुर्जर देश’ का जिक्र किया है, जहाँ प्रतिहार वंश का शासन था। उनके अनुसार, ‘आदिवराह’ मिहिर भोज ने ‘गुर्जर देश’ पर शासन किया था, इसीलिए उन्हें गुर्जराधिपति कहा गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नागौद राजवंश उन्हीं के वंशज हैं और वो क्षत्रिय राजपूत हैं। उन्होंने खुद को नागौद का राजकुमार बताते हुए ‘ऐतिहासिक साक्ष्यों व अधिकार’ के साथ इसकी वकालत की कि साम्राट मिहिर भोज क्षत्रिय राजपूत थे।
उन्होंने दावा किया क़ नागौद, हमीरपुर, अलीपुरा, शोहरतगढ़ के परिहार उनके ही वंशज हैं। उन्होंने लिखा, “मिहिर भोज का अन्य जाति से होना गलत है। उनके नाम की प्रतिमाएँ व स्थानों का निर्माण करवाया जा रहा है, परन्तु उनका जाति-परिवर्तन किया जा रहा है, जो इतिहास के साथ सरासर छेड़छाड़ है। हमारे 1300 वर्ष पुराने मान-सम्मान को ठेस पहुँचाया जा रहा है और हम दृढ़ता से इसका विरोध करते हैं।”
पत्र के साथ-साथ उन्होंने सम्राट मिहिर भोज और प्रतिहार वंश की वंशावली भी राजाओं व वंशजों के नामों के साथ संलग्न की है। इसमें 730 ईश्वी में नागभट्ट से लेकर वर्तमान राजा शिवेंद्र प्रताप सिंह तक के नाम का जिक्र है। सम्राट मिहिर भोज को इसमें नागभट्ट द्वितीय का पोता बताया गया है। शिवेंद्र से पहले राजा रुदेंद्र प्रताप सिंह और महेंद्र प्रताप सिंह का नाम है। अब देखना ये है कि इसके बाद विवाद थमता है या नहीं।
क्षत्रिय सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार जी के वंशज वर्तमान युवराज नागौद राज्य श्री अरुणोदय सिंह प्रतिहार @BarmeNagod जी के द्वारा सभी लोगो को संदेश ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये।
— ⚔️ हरियाला बन्ना ⚔️ (@Rajputboy1997) September 21, 2021
Arunoday Singh BarmeNagod
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#BJP_Against_Rajputs#राजपूत_चलो_दादरी
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वहीं उन्होंने राजपूत समाज को समर्पित एक वीडियो बनाते हुए उनके द्वारा एकता का प्रदर्शन किए जाने को सराहनीय करार दिया और उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने दादरी में हुए विरोध प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से राजा मिहिर भोज का जाति-परिवर्तन किया जा रहा है, वो इतिहास व उनके मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय इतिहास रक्त व बलिदान से लिखी गई है, जिसे इतनी आसानी से बदला नहीं जा सकता।
बता दें कि इसे ‘इतिहास की चोरी’ का नाम देते हुए राजपूत समाज के लोग कह रहे हैं कि उनसे उनकी पहचान व उनके पूर्वजों की अस्मिता न छीनी जाए। ऐसा नहीं है कि आक्रोशित सिर्फ राजपूत ही हैं। गुर्जर समाज में भी आक्रोश है, क्योंकि उनका आरोप है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान ‘गुर्जर’ शब्द को हटा दिया गया। उनका कहना है कि प्रतिमा का उद्घाटन तब तक नहीं माना जाएगा, जब तक वापस वहाँ ‘गुर्जर’ शब्द नहीं लिख दिया जाता।