पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 3 मामले सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे लेकर असंवेदनशीलता दिखा रही हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार दिल्ली दंगों से ध्यान भटकाने के लिए कोरोना वायरस को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है। अब ममता सरकार ने कुछ ऐसा किया है, जिससे पता चलता है कि इस संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए राज्य सरकार गंभीर नहीं है। रविवार (मार्च 22, 2020) को पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में चावल और आलू बाँटने का कार्यक्रम रखा है। इसका अर्थ है कि उस दिन भारी भीड़ जुटेगी।
लगभग सभी राज्यों में स्कूल-कॉलेजों को 31 मार्च या उससे आगे तक के लिए बंद कर दिया गया है। कई जगह परीक्षाएँ ठप्प हो गईं या फिर उनकी तारीख आगे बढ़ा दी गई और कई राज्यों में बिना परीक्षा के लिए आठवीं कक्षा से नीचे के बच्चों को अगले वर्ग में प्रवेश दे दिया गया। बावजूद इसके पश्चिम बंगाल सरकार का ये फ़ैसला लोगों को खटक रहा है। प्राथमिक विद्यालयों के सभी शिक्षकों को रविवार को स्कूल में उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया गया है।
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि ये सब ‘जनता कर्फ्यू’ को धता बताने के लिए किया गया है। ये शक और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि उनका दावा है कि पहले ये कार्यक्रम 23-24 मार्च को होने वाला था लेकिन जानबूझ कर इसे 22 मार्च को रीशेड्यूल किया गया है। अन्य नेताओं ने भी तृणमूल सरकार पर ‘बदले की राजनीति’ के आरोप लगाए हैं। इससे ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ की सलाह को भी तगड़ा झटका लगा है।
Govt of Bengal has issued an order for distributing rice and potato in different schools on coming Sun, 22 Mar under the Mid Day meal program, earlier scheduled for 23-24 Mar. All primary school teachers have been asked to report. It has been done just to spike the #JantaCurfew. pic.twitter.com/MPyQaCaWj6
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 21, 2020
बता दें कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ की घोषणा की थी और पूरे देश की जनता से अपील की थी कि उस दिन सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक वो बाहर न निकलें। साथ ही शाम को थाली, घंटी अथवा ताली बना कर डॉक्टरों, नर्सों, कर्मचारियों व अन्य सेवारत लोगों को धन्यवाद देने की भी अपील की गई थी। पीएम मोदी के कई आलोचकों ने भी इस घोषणा व सलाह की प्रशंसा की थी। लेकिन, रविवार को सुबह 10 बजे पश्चिम बंगाल में बच्चों व शिक्षकों का स्कूल में जमावड़ा लगवाने का मतलब है कि उन सभी की जान संकट में डालना।