पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) भगवान सिंह को तिहरे हत्याकांड के पुराने मामले में दोषी पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। यह निर्णय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लिया है। लगभग 16 साल पहले कोंच कोतवाली में 3 लोगों की गोली मार कर हत्या के मामले में न्यायालय ने 8 नवंबर 2019 को तत्कालीन उपनिरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) भगवान सिंह समेत अन्य आरोपित पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास और 50 हज़ार रुपए जुर्माने का दंड सुनाया था।
#UPCM श्री @myogiadityanath जी ने तत्कालीन उप निरीक्षक, कोंच, जनपद जालौन, (संप्रति, निलंबित पुलिस उपाधीक्षक) के विरुद्ध सक्षम न्यायालय से अपराध दोष सिद्ध होने तथा आजीवन कारावास व ₹50,000 के दंड से दंडित किए जाने के दृष्टिगत उन्हें सेवा से पदच्युत करने का आदेश दिया है।@spgoyal pic.twitter.com/QEEVm2uCnm
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) December 19, 2020
इस मामले में कुछ समय बाद भगवान सिंह को उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। हाल ही में भगवान सिंह निरीक्षक (इंस्पेक्टर) से पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पद पर पदोन्नत हुए थे और उन्हें कानपुर कर्नलगंज में तैनात किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले ही भगवान सिंह को निलंबित किया था।
लगभग 16 साल पहले 2004 के फरवरी महीने में दो पक्षों में विवाद हुआ था, जिसकी पैरवी करने के लिए सपा नेता महेंद्र निरंजन कोतवाली पहुँचे थे। इसके बाद कोंच कोतवाली में तैनात कोतवाल देवदत्त सिंह राठौर (दिवगंत) की सपा नेता सुरेंद्र निरंजन से बहस हुई थी। विवाद बढ़ने पर देवदत्त सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों ने कोतवाली परिसर में सुरेंद्र निरंजन, उनके भाई रोडवेज यूनियन के नेता महेंद्र निरंजन और मित्र दयाशंकर झा की सर्विस रिवॉल्वर से गोली मार कर हत्या कर दी थी।
कोतवाली के भीतर 3 लोगों की हत्या की गूँज पूरे प्रदेश में सुनाई दी थी, पूरे कोंच में कर्फ्यू लगा दिया गया था। कानपुर के अलावा पूरे प्रदेश में पुलिस महकमे का जम कर विरोध हुआ था। फिर कोतवाल देवदत्त सिंह, उनके पुत्र अनिल राठौर, उपनिरीक्षक भगवान सिंह उपनिरीक्षक लालमणि गौतम समेत कुल 8 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था। हालाँकि देवदत्त सिंह की जेल में हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी, मामले के अन्य आरोपित पुलिसकर्मी भी जेल गए थे।
मुक़दमे के ट्रायल के दौरान आरोपित पुलिसकर्मी जमानत पर रिहा होकर नौकरी करने लगे थे। लगभग 15 साल के दौरान भगवान सिंह को दो बार पदोन्नति भी मिली, पहले इंस्पेक्टर और फिर डीएसपी। एडीजे अमित पाल ने इस मामले में बीते वर्ष फैसला सुनाया था, जिसके तहत सभी आरोपितों को आजीवन कारावास और आर्थिक जुर्माने की सज़ा सुनाई गई थी।
बाद में भगवान सिंह को इस मामले में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। घटना के संबंध में अपने पिता दयाशंकर झा को खो चुके ऋषि झा का कहना है कि सरकार ने भगवान सिंह को बर्खास्त करके सही कदम उठाया है। मामले के आरोपित अन्य पुलिसकर्मियों ने जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दी है, वह इसके विरोध में वहाँ भी पैरवी करेंगे।