2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद समाज के वंचित आदिवासी समुदाय के लिए कई सारी महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की गई। इन योजनाओं को सफ़ल बनाने के लिए सरकार ने कई सारे कार्यक्रमों की भी शुरूआत की। इन कार्यक्रमों में आने के लिए जनता को प्रेरित किया गया।
इन कार्यक्रमों के ज़रिए आदिवासियों के संस्कृति से लोगों को रू-ब-रू कराने के साथ-ही- साथ आदिवासियों के आय को भी बढ़ाने का प्रयास किया गया। आदिवासियों के उत्थान के लिए शुरू किया गया ‘आदि महोत्सव’ योजना भी इन्हीं में से एक है।
यह योजना आदिवासियों को आजीविका और अपनी आय बढ़ाने के अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। महोत्सव आदिवासी कारीगरों को अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने की सुविधा प्रदान करता है। जनजातीय मामलों का मंत्रालय और कई सरकारी व गैर सरकारी संस्थान पूरे भारत के बाजार तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करता है।
इन्हीं उद्देश्यों के साथ 2018 की दूसरी छमाही में इंदौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, दिल्ली और भोपाल में पाँच आदि महोत्सव आयोजित किए गए। 2019 की पहली छमाही में 12 आदि महोत्सव आयोजित किए जाएँगे।
40 हजार जनजातीय कारीगर लाभांवित हुए
इस वर्ष के आदि महोत्सव से 14,000 जनजातीय परिवारों तथा 40,000 जनजातीय कारीगरों को आजीविका के साधन उपलब्ध हुए हैं तथा उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है। इस वर्ष 18 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार दर्ज किया गया है। दिसंबर, 2018 में भोपाल तथा रणथम्भौर में दो आदि महोत्सव आयोजित किए गए थे जहाँ 69.07 लाख रुपये का कारोबार हुआ था।
इसके अतिरिक्त ट्राइफेड ने नई दिल्ली, रायपुर, गुवाहाटी, जयपुर, उदयपुर, भुवनेश्वर, मुंबई, रांची, लखनऊ, मसूरी, देहरादून, वाराणसी, भोपाल, बैंगलोर, कन्याकुमारी, कोयम्बटूर, भिलाई, कोहिमा, काजीरंगा, कोटा, राउरकेला, रणथम्भौर, पुणे, प्रयागराज, पुड्डूचेरी, कोलकाता, चेन्नई और चंडीगढ़ में 28 प्रदर्शनियों का आयोजन किया था। इनमें 110.58 लाख रुपए मूल्य के उत्पादों की बिक्री हुई थी।
साभार:प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो