भारत ने स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी में एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह परीक्षण स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग करके किया गया। इससे पहले जून 2019 में इसका पहला परीक्षण किया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार (सितंबर 07, 2020) को HSTDV के सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
The @DRDO_India has today successfully flight tested the Hypersonic Technology Demontrator Vehicle using the indigenously developed scramjet propulsion system. With this success, all critical technologies are now established to progress to the next phase.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 7, 2020
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “DRDO ने आज स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रपल्शन प्रणाली का उपयोग करते हुए हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर वाहन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस सफलता के साथ, सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ अब अगले चरण की प्रगति के लिए स्थापित हो गई हैं।”
उल्लेखनीय है कि HSTDV का भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा, बल्कि इसकी मदद से काफी कम लागत में सैटेलाइट लॉन्चिंग की जा सकेगी। HSTDV हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक दोहरे उपयोग की तकनीक है और कई असैन्य कार्यों में भी इसका प्रयोग किया जाएगा।
हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने के लिए एक मानव रहित HSTDV माख 6 (Mach 6) की गति से क्रूज कर सकता है और महज 20 सेकंड में 32.5 किमी की ऊँचाई तक जा सकती है और एक बार इसे सफलतापूर्वक हासिल करने के बाद, भारत उन देशों के चुनिंदा क्लब में प्रवेश करेगा, जिनके पास ऐसी तकनीक है।
यह विमान हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित करने संबंधी देश के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ओडिशा के बालासोर में एपीजे अब्दुल कलाम परीक्षण रेंज (व्हीलर द्वीप) से हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने और सफलतापूर्वक परीक्षण करने के बाद भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया। यह स्वदेशी तकनीक ध्वनि की गति (माख 6) की छह गुना गति से यात्रा करने वाली मिसाइलों के निर्माण का रास्ता आसान करेगी।
DRDOद्वारा विकसित HSTDV का परीक्षण आज सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल बूस्टर का उपयोग कर के किया गया और पाँच मिनट तक चला।
In a historic mission today, India successfully flight tested Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV), a giant leap in indigenous defence technologies and significant milestone towards a #sashaktbharat and #atmanirbharbharat.
— DRDO (@DRDO_India) September 7, 2020
इस आधुनिक तकनीक के सफल प्रयोग और इसकी भविष्य की संभावनाओं से अवगत लोगों का कहना है कि इस परीक्षण का मतलब है कि DRDO में अगले पाँच वर्षों में स्क्रैमजेट इंजन के साथ एक हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता होगी, जिसमें दो किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की क्षमता होगी।
सोमवार सुबह 11.03 बजे, अग्नि मिसाइल बूस्टर इस हाइपरसोनिक वाहन को 30 किमी की ऊँचाई तक ले गया, जिसके बाद वे अलग हो गए। इसके बाद, वाहन का एयर इनटेक खुल गया और जिसके कारण परीक्षण स्क्रैमजेट इंजन को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया।
#HSTDV launch video from @DRDO_India pic.twitter.com/hWWprWz8Vd
— Anantha Krishnan M 🇮🇳 (@writetake) September 7, 2020
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाहन ने सभी पूर्व-निर्धारित पैरामीटर्स पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, जिसमें 2500 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और हवा की गति को संभालने की क्षमता भी शामिल है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परीक्षण के तुरंत बाद DRDO को बधाई दी और स्वदेशी रूप से एक स्क्रैमजेट इंजन बनाने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की।