देश के लिए डिजिटल इंडिया की कल्पना करने वाली मोदी सरकार ने पिछले साल 23 सितंबर 2018 को ‘आयुष्मान भारत’ नाम की योजना शुरू की थी। इसके तहत दवाइयों से लेकर सर्जरी जैसे 1350 मेडिकल पैकेज कैशलेस और पेपरलेस मुहैया कराए जाने का उद्देश्य निहित है। इस जन-कल्याणकारी योजना से कुछ ही दिनों के भीतर लाखों लोगों को लाभ मिला लेकिन राजनीति के कारण कुछ गैर-बीजेपी राज्य इसे अपने यहाँ बंद कर रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ ने ‘आयुष्मान भारत’ योजना से खुद को अलग कर लिया है।
आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली, उड़ीसा और तेलंगाना ने ‘आयुष्मान भारत’ योजना को अब तक स्वीकारा ही नहीं है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले इसे बंद कर किया। अब छत्तीसगढ़ ने भी इस योजना को अपने राज्य में लागू करने से मना कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा करने के पीछे अपना मत दिया कि वो इस योजना के बदले में ‘यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम’ शुरू करने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने आयुष्मान योजना को बीमा योजना करार देते हुए कहा कि इसमें आउटपुट बेहद कम है और खर्चा बहुत ज्यादा है। उन्होंने अपने राज्य में इस योजना का विकल्प रखते हुए बताया कि उनके राज्य में एक ऐसी योजना लाई जा रही है, जो आयुष्मान योजना के मुकाबले कम खर्चे में तैयार होगी। राज्य में लागू होने वाली इस योजना में जाँच, इलाज व दवा भी मुफ़्त उपलब्ध करवाई जाएगी।
टीएस सिंहदेव ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत में गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है, जिसके अंतर्गत सिर्फ प्रदेश की 5 से 8 प्रतिशत जनता ही आ पाएगी। इसके तहत प्रदेश में रह रहे 42 लाख परिवारों का 1100 रुपए हर परिवार के आधार पर बीमा कराया जाएगा। इस 1100 की राशि में 660 रुपए केंद्र द्वारा दिए जाते हैं और 440 रुपए राज्य सरकार द्वारा दिए जाते हैं। राज्य को इसके लिए करीब 180 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे। मंत्री सिंहदेव के अनुसार इतनी राशि में पूरे राज्य के 80 फीसदी की आबादी को निशुल्क दवा और इलाज़ उपलब्ध करा दिया जाएगा।
आपको बता दें कि 2018 में आए केंद्रीय बज़ट में सरकार ने इसकी घोषणा की थी। इस योजना में लगभग उन सभी बीमारियों को कवर करने की बात है, जो बहुत से प्राइवेट मेडिकल बीमा कंपनियाँ मुहैया नहीं कराती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने भी आयुष्मान भारत योजना की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि इस योजना को लागू करने के 100 दिनों के भीतर 7 लाख लोगों को फ़ायदा पहुँचा था।