भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बुधवार को सफलता पूर्वक जीसैट-31 उपग्रह को लाँच किया। इसरो ने यूरोपीय कंपनी एरियनस्पेस की प्रक्षेपण यान की मदद से इस उपग्रह को लाँच किया। बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के तटीय क्षेत्र में संचार की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए इस उपग्रह को लाँच किया गया है।
जीसैट-31 क्या है?
जीसैट-31 उपग्रह का वजन 2535 किग्रा है। यह देश की 40वाँ संचार उपग्रह है। यह उपग्रह अपने प्रक्षेपण के बाद 15 सालों तक तटीय क्षेत्र के में संचार की सुविधा को आसान बनाएगा। इस संचार सैटेलाइट के जरिए डीटीएच टीवी जैसी सेवाओं को रफ़्तार मिलेगा। इसरो के मुताबिक इस उपग्रह की मदद से संचार को आसान बनाने के लिए भू-स्थैतिक कक्षा में केयू बैंड ट्रांसपोंडर की क्षमता को मजबूत करेगा।
इससे पहले भी अंतरिक्ष में रचा जा चुका है इतिहास
जीसैट-31 उपग्रह से पहले 2018 में इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़ी सफलता अपने नाम किया है। इससे पहले भारत ने 10 दिसंबर 2018 को अग्नि 5 का सफल परीक्षण कर देश ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचा था। ओडिशा तट के पास डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 5 का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया था। यही नहीं PSLV C-40 के जरिए एक साथ 31 उपग्रह को भी लॉन्च किया गया था।
भारत ने पिछले ही साल इतिहास रचते हुए चेन्नई से 110 किमी दूर स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस 100वें उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रह यानी कुल 31 उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए थे। भारत सरकार ने 19 दिसंबर 2018 को ISRO ने अंतरिक्ष में संचार उपग्रह जीसैट-7ए (GSAT 7A) को लॉन्च किया गया था। यह सैटेलाइट श्रीहरिकोटा से लॉन्च की गई थी। यह उपग्रह (सैटेलाइट) वायुसेना की संचार सुविधा बढ़ाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) द्वारा बनाए ‘सबसे अधिक वजनी’ उपग्रह GSAT-11 को 5 दिसंबर 2018 को फ्रेंच गुआना के एरियानेस्पेस के एरियाने-5 रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया था। इसरो के मुकाबिक इस उपग्रह का वजन करीब 5,845 किलोग्राम है।