असम में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुतारकांडी-करीमगंज में अवैध रूप से रह रहे 21 बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजा दिया गया। इसमें दो महिलाएँ भी शामिल थीं। दो साल बाद आव्रजन जाँच चौकी से इनको कानूनी तरीके से वापस भेजा गया। बता दें कि इन्हें बिना पासपोर्ट, वीज़ा के घुसने के जुर्म में असम की बॉर्डर पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय को सौंपे गए नागरिक
सभी 21 बांग्लादेशी नागरिकों को असम बॉर्डर पुलिस और बीएसएफ की अगुवाई में बांग्लादेश राइफल्स और बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंप दिया गया। बता दें कि आए दिन बांग्लादेशी नागरिकों के चोरी-छिपे भारतीय सीमा में घुसने का मामला सामने आता रहता है। चूँकि बांग्लादेश के गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों के लिए भारत में आसानी से मज़दूरी करने और रोज़गार के मौके मिल जाते हैं, इसी आस में सीमा पार कर ये लोग अक्सर भारत में घुस आते हैं।
घुसपैठ के खिलाफ हो चुका है आंदोलन
बता दें कि बांग्लादेशी घुसपैठ से परेशान होकर 1979 से 1984 तक 6 साल ‘अखिल असम छात्र संघ’ ने इनके खिलाफ आंदोलन किया था। इसके बाद असम में 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ असम समझौता (असम एकॉर्ड) पर हस्ताक्षर हुआ था। इसमें असम की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा और उनके क्रियान्वन के लिए कई माँगों पर सहमति बनी थी।