Sunday, December 22, 2024
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अंतरिक्ष में भारत का नया लक्ष्य: 2030 तक होगा अपना स्पेस स्टेशन

20 टन के इस स्पेस स्टेशन का प्रयोग मुख्यतः न्यून-गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रेविटी) में होने वाले प्रयोगों के लिए किया जाएगा। शुरुआती योजना इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के 15-20 दिन तक ठहरने का इंतजाम करने की है। सरकार ने इसके लिए ₹10,000 करोड़ के बजट आवंटन को आचार संहिता लगने के पहले ही मंजूरी दे दी थी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के शिवन ने आज प्रेस कर जानकारी दी कि भारत अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वर्ष 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है, और सरकार ने इसके लिए ₹10,000 करोड़ के बजट आवंटन को आचार संहिता लगने के पहले ही मंजूरी दे दी थी। यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी ‘गगनयान’ मिशन का ही विस्तार होगा और इसके लिए भारत किसी भी देश का कोई सहयोग या सहायता नहीं लेगा।

एक बार फिर एलीट क्लब पर नज़र

इस मिशन के ज़रिए भारत की निगाहें एक बार फिर चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल होना है, जिनके पास खुद के स्पेस स्टेशन हैं। अभी तक यह उपलब्धि केवल अमेरिका, चीन, रूस के पास है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) किसी एक देश नहीं बल्कि कई देशों के एक संघ के नियंत्रण में है, जिसमें रूस, कनाडा, जापान के अलावा अधिकांशतः यूरोपीय देश शामिल हैं।

20 टन के इस स्पेस स्टेशन का प्रयोग मुख्यतः न्यून-गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रेविटी) में होने वाले प्रयोगों के लिए किया जाएगा। शुरुआती योजना इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के 15-20 दिन तक ठहरने का इंतजाम करने की है। हालाँकि, योजना की तस्वीर गगनयान की सफलता के बाद ही साफ़ हो पाएगी। गगनयान के अंतर्गत 2022 तक एक या दो उड़ानें पहले बिना चालक दल के करने के बाद चालक दल के साथ उड़ान 2022 के आसपास होगी।

फ़िलहाल चंद्रयान-2 पर ध्यान

फ़िलहाल इसरो का ध्यान चंद्रयान-2 पर है, जिसे 15 जुलाई को उड़ान भरनी है। यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करेगा, जो कि अब तक मानव द्वारा अनछुआ है। चंद्रयान-2 लगभग दस वर्ष पुराने मिशन चंद्रयान-1 का अगला हिस्सा है। उसके अंतर्गत भारत ने चन्द्रमा पर अपना मिशन भेजा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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