हिंदुस्तान की सेना ने दो पाकिस्तानी सैनिकों को हाजीपुर सेक्टर में ढेर कर दिया। घटना तीन दिन पहले (10-11 सितम्बर) की है। पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन किए जाने के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई में उसक दोनों सैनिक मार गिराए।
#WATCH Hajipur Sector: Indian Army killed two Pakistani soldiers in retaliation to unprovoked ceasefire violation by Pakistan. Pakistani soldiers retrieved the bodies of their killed personnel after showing white flag. (10.9.19/11.9.19) pic.twitter.com/1AOnGalNkO
— ANI (@ANI) September 14, 2019
मारे गए सैनिकों में से एक का नाम गुलाम रसूल है। वह हिन्दुस्तानी सेना की जवाबी कार्रवाई में मारा गया। ANI के अनुसार गुलाम रसूल पाकिस्तानी पंजाब के बहावलनगर का रहने वाला है। उसकी लाश उठाने के लिए पाकिस्तान ने पहले तो फायरिंग तेज कर हिन्दुस्तानी सेना को पीछे धकेलने की कोशिश की। लेकिन वे न केवल इसमें नाकाम रहे, बल्कि दूसरे मजहब के अपने एक और पंजाबी सैनिक को गँवा दिया। इसके बाद कल (13 सितंबर) सफ़ेद झंडा दिखा पाकिस्तान दोनों के शव ले गया।
यहाँ मारे गए सैनिकों की जाति और प्रांत बताना इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना अपने ही सैनिकों की लाशों के साथ जातीय भेदभाव करती रहती है। मारे जाने वाले सैनिक कश्मीरी (गुलाम कश्मीर/POK के निवासी) या नॉर्दर्न लाइट इन्फेंट्री (NLI) के होते हैं तो पाकिस्तान उनकी लाशें लेने में हिचकता है, जबकि समुदाय विशेष के पंजाबी सैनिकों की लाशें वह हर कीमत पर पाने का प्रयास करता है।
कारगिल युद्ध के समय भी उसने मारे गए कश्मीरी/NLI सैनिकों को ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’/‘नॉन-सिटिज़न्स’ बताकर उनकी लाशें और उनके किए की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था और उन्हें हिंदुस्तान ने दफनाया। पंजाबी समुदाय का पाकिस्तान के राजनीतिक जीवन में वर्चस्व है। सेना में भी उनसे पहले कश्मीरियों और NLI को आगे धकेल दिया जाता है, ताकि अधिकतम जान के जोखिम से पंजाबी बचे रहें और कश्मीरी/NLI होने के नाते मारे गए सैनिकों के शव लाने का दबाव भी न हो।
करीब 4 मिनट के इस वीडियो में सफ़ेद झंडा लहराते हुए एक आदमी सामने की पहाड़ी से उतर कर तलहटी के पास एक टीले के पास आता है। उसके बाद कुछ दो-तीन और लोग उसके बुलाने पर आते हैं, और एक-एक कर दो शव उठाकर ले जाते हैं।
इससे पहले पाकिस्तान ने केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास पाँच से सात BAT (Border Action Team) कमांडो के शव को LOC पर से उठाने से मना कर दिया था, जबकि हिन्दुस्तानी सेना ने पेशकश की थी कि पाकिस्तानी सेना सफेद झंडे के साथ आकर इन शवों को ले जा सकती है। उस समय भी खबरें चलीं थीं कि मारे गए सैनिकों में मजहब विशेष के पंजाबी न होने के चलते ही पाकिस्तान ने शवों को ले जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।