भारत में बनी आधुनिक ट्रेन-18 को विश्व स्तर पर तवज्जो मिल रही है। अब भारत रेल व्यापार के ग्लोबल मार्केट में उतरने जा रहा है। मिडिल ईस्ट से लेकर अमेरिका तक ट्रेन-18 में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। दरअसल, इस ट्रेन को बनाने में भारत सरकार का 100 करोड़ रुपए का खर्च आया है। बता दें कि ट्रेन सेट्स बनाने की यह तकनीक दुनिया में सबसे किफ़ायती है। यही कारण है कि कई देश इसे खरीदने में दिलचस्पी ले रहे हैं।
रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश अग्रवाल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया, “कई देशों ने इस ट्रेन सेट्स में अपनी रुचि दिखाई है। इस बात से मुझे खुशी और गर्व है कि हमारे यहाँ तैयार एक उत्पाद में इतनी रुचि दिखाई जा रही है।” उन्होंने कहा कि दुनिया भर में रोलिंग स्टॉक बाजार लगभग 200 अरब डॉलर का है और हम इसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी चाहते हैं। हमारा उद्देश्य इस ट्रेन को सफलतापूर्वक चलाना है।
दुनिया में 250 करोड़ है ऐसे ट्रेनों की कीमत
अगर दुनिया में इस तरह के ट्रेनों के कीमत की बात करें तो यह करीब 250 करोड़ रुपए का पड़ता है। इसके अलावा इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई द्वारा तैयार इस भारतीय संस्करण की लागत करीब 100 करोड़ रुपए आती है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यूरोप और अमेरिका में ट्रेन-18 जैसी ट्रेन को तैयार करने में 250-300 करोड़ रुपए का खर्च आता है।
ट्रेन-18 का अब तक जो परीक्षण हुआ है, उसमें इसकी अधिकतम स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटे रही है। बता दें कि दिल्ली और वाराणसी के बीच ट्रेन-18 का वाणिज्यिक परिचालन जल्द ही शुरू होने वाला है।
‘250km की स्पीड में तक चलने में सक्षम’
रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश अग्रवाल के अनुसार उन्हें इस ट्रेन पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा, “हमें सेमी हाई स्पीड इस ट्रेन की विशाल संभावनाओं पर पूरा विश्वास है, जिसकी गति 150 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 250 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच है।” उन्होंने कहा कि इसकी लागत अन्य देशों की तुलना में घरेलू स्तर पर बनाए जाने के कारण करीब 25 फीसदी तक कम होगी।