बांग्लादेशी से भागकर पश्चिम बंगाल आए एक शरणार्थी ने वहाँ के दर्दनाक स्थिति के बारे में बताया है। उसने बताया कि अपनी सुरक्षा के लिए बांग्लादेश के 100 व्यक्तियों वाले 25 हिंदू परिवारों को भागकर पश्चिम बंगाल में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। वहाँ हत्या, बलात्कार, मंदिरों पर हमले, जमीन पर कब्जे जैसे नियमित उत्पीड़न झेल रहे हिंदुओं को डरकर जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय का उत्पीड़न और बढ़ जाता है, जब चुनाव आते हैं। चुनाव से पहले इस्लामी उन्मादी भीड़ हिंदू परिवारों को बेरोकटोक निशाना बनाती है। इस साल 7 जनवरी को बांग्लादेश में संघीय चुनाव हुए थे। इस दौरान हिंदुओं को आगजनी और हमलों का सामना करने के बाद अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
इससे पहले ऑपइंडिया ने बताया था कि फरीदपुर, सिराजगंज, बागेरहाट, जेनाइदाह, फिरोजपुर, कुश्तिया, मदारीपुर, लालमोनिरहाट, दाउदकंडी, ठाकुरगाँव, मुंशीगंज और गैबाँधा सहित पूरे बांग्लादेश में सांप्रदायिक हमले हुए थे। इन हिंसक घटनाओं में अवामी लीग से जुड़े इस्लामवादियों ने उन हिंदुओं के घरों पर हमला किया, जिन्होंने अन्य दलों या निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन किया था।
भारत में शरण लेने के बाद एक बांग्लादेशी नागरिक 45 वर्षीय अविनाश कुमार मंडल (बदला हुआ नाम) ने कहा, “इस (चुनाव से पहले और बाद की हिंसा) ने उजिरपुर के हिंदुओं में इतना डर पैदा कर दिया कि 7 जनवरी से अब तक 25 परिवार, जिसमें बच्चों-महिलाओं सहित लगभग 100 व्यक्ति हैं, सुरक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के लिए निकलने में ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया।”
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश चुनाव के मद्देनजर हिंसक दमन से बचने के लिए बारिसल के उजीरपुर उपजिला के ये 25 हिंदू परिवार सीमा पार कर भारत आ गए और अविनाश उनमें से एक हैं। 27 फरवरी 2024 को अविनाश ने धमकी और इस्लामी हिंसा के बीच बांग्लादेश के में अपना घर छोड़ दिया। अविनाश गोपालगंज से खुलना होते हुए जेसोर के लिए बस मार्ग लेकर भारत-बांग्लादेश सीमा पर पहुँचे।
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के चकदाह में अपने आश्रय स्थल से फोन पर उन्होंने बताया, “मैंने जानबूझकर बेनापोल पहुँचने के लिए एक घुमावदार रास्ता अपनाया। स्थानीय ताकतवर गाजी अबू हनीफ के आदेश पर पुलिस द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट मेरे खिलाफ लंबित था। इसमें बाहुबलियों और कट्टरपंथियों ने अवामी लीग के आधिकारिक उम्मीदवार राशेद खान मेनन का हाथ था।”
नॉर्थईस्ट न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, उजीरपुर के अल्पसंख्यक हिंदुओं ने अवामी लीग के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों का समर्थन किया और उन्हें वोट किया था। ऐसे लोगों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया था। इसी कारण 25 से अधिक हिंदू परिवार क्षेत्र से भाग गए। अविनाश ने ज़ोर देकर कहा, “उजीरपुर लौटने का उनका कोई इरादा नहीं है।”
बारिसल-2 निर्वाचन क्षेत्र के दो उपजिले- उजीरपुर और बनारीपारा में लगभग 2,000 हिंदू परिवार थे। स्थानीय निवासियों और अवामी लीग के सूत्रों का कहना है कि 7 जनवरी की हिंसा के बाद उजीरपुर की तुलना में बनारीपारा से अधिक हिंदुओं ने घर छोड़ा। हालाँकि, चुनाव संबंधी हिंसा को कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में कवर किया, लेकिन चुनाव से पहले और बाद में झड़पों की अनदेखी की गई।
दूसरी तरफ, भारत सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को जल्द ही लागू करने की बात कही है, लेकिन उजीरपुर और बनारीपारा से हाल ही में आए हिंदुओं को शायद ही इससे मदद मिले। CAA में पड़ोसी देशों से आए उन्हीं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही गई है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं।
नॉर्थईस्ट न्यूज के मुताबिक, नए बांग्लादेशी हिंदू प्रवासियों में से एक अविनाश को इस कानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अविनाश का कहना है कि बांग्लादेश से भागने का उसका निर्णय कोई तात्कालिक विचार नहीं था। लगभग एक साल पहले उनकी पत्नी और दो किशोर बच्चे भारत (चकदाह) आ गए थे, जबकि वे यहाँ पहुँचने के लिए समय का इंतजार कर रहे थे।