जालियाँवाला बाग़ नरसंहार के बारे में तो आपने पढ़ा ही होगा। अप्रैल 1919 में ब्रिटिश जनरल डायर और उसके सैनिकों ने यहाँ ऐसा आतंक मचाया था कि जान बचाने के लिए कई महिलाएँ और बूढ़े-बच्चे तक भी कुँए में कूद गए थे। स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं के मुताबिक़, इस हत्याकांड में कम से कम 1000 लोग मारे गए और इससे काफ़ी ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए। अमृतसर के हरमिंदर साहिब के नजदीक स्थित जालियाँवाला बाग़ के बाहर निकलने के सारे रास्ते बंद कर के अंग्रेजों ने वैशाखी मना रहे लोगों का नरसंहार किया था।
अब इंग्लैंड के सबसे वरिष्ठ पादरी ने इस घटना को लेकर माफ़ी माँगी है। जलियाँवाला नरसंहार के 100 वर्ष पूरे होने के बाद उन्होंने माफ़ी माँगते हुए कहा कि वे इसके लिए शर्मिंदा हैं। दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के कैंटरबरी चर्च के 105वें आर्चबिशप जस्टिन पोर्टल वेबली ने जालियाँवाला बाग़ पहुँच कर उस नरसंहार को याद करते हुए दुःख जताया।
‘चर्च ऑफ इंग्लैंड’ के सबसे वरिष्ठ पादरी वेबली ने कहा कि जलियाँवाला बाग़ में जो अपराध हुआ था, उसके लिए वह शर्मिंदा हैं और एक धार्मिक नेता होने के तौर पर वह इस त्रासदी की निंदा करते हैं। उन्होंने माफ़ी माँगते हुए कहा कि इसकी यादें हमेशा रहेंगी। उन्होंने ज़मीन पर लेट कर प्रार्थना भी की। बिशप जस्टिन अपनी पत्नी कैरोलिन वेबली के साथ 2 दिवसीय अमृतसर दौरे पर पहुँचे हुए हैं।
Punjab: Archbishop of Canterbury, Justin Welby lies on floor during his visit to Jallianwala Bagh in Amritsar. Says, “You have remembered what they have done and their memory will live. I’m ashamed and sorry for the crime committed here, as a religious leader I mourn the tragedy” pic.twitter.com/CyPho3lFYC
— ANI (@ANI) September 10, 2019
वेबली ने कहा कि वह ब्रिटिश सरकार की तरफ से नहीं बोल सकते हैं क्योंकि वह सरकार के आदमी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह जीसस क्राइस्ट के नाम पर बोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए और इंग्लैंड-भारत के रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रार्थना करने आए हैं। इस दौरान उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि यह दौरा एक तीर्थयात्रा के समान रहा है।