बांग्लादेश के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद से वहाँ हिंसा फैली हुई है। हिंदुओं और शेख हसीना के पार्टी के नेताओं के साथ-साथ उनकी सरकार के दौरान के वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है। इसी तरह का दबाव सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और बांग्लादेश बैंक के गवर्नर पर बनाकर उनसे इस्तीफा ले लिया गया।
दरअसल, बांग्लादेश बैंक के गवर्नर अब्दुर रौफ तालुकदार ने भी प्रदर्शनकारियों की हिंसा से डरकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि, उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। वहीं, ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति एएसएम मकसूद कमाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यही वो यूनिवर्सिटी है, जहाँ से छात्रों से अपना आंदोलन शुरू किया था।
बांग्लादेश यूजीसी के चेयरमैन काजी शाहिदुल्लाह ने बीमारी का बहाना बनाकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने रविवार को अपना इस्तीफा शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया। वह पिछले साल 28 मई को यूजीसी अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। काजी शाहिदुल्लाह ने पहले 2009-2013 के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया था।
वहीं, बांग्लादेश सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (BCEC) के चेयरमैन प्रोफेसर शिबली रुबायत उल इस्लाम ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस्तीफा का कारण निजी बताया है। शिबली रुबायत उल इस्लाम ने अपना इस्तीफा वित्तीय संस्थान विभाग के प्रभारी मोहम्मद अब्दुर रहमान खान को भेजा है।
बता दें कि शनिवार को बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन और शीर्ष अपीलीय प्रभाग के पाँच अन्य जजों ने इस्तीफा दे दिया था। न्यायिक व्यवस्था के चरमाने के साथ ही सैयद रेफत अहमद को बांग्लादेश को नया चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। छात्रों ने चीफ जस्टिस पर आरोप लगाया था कि वे पूर्व पीएम शेख हसीना के करीबी हैं।
दरअसल, शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायिक व्यवस्था को चलाने के लिए फुल कोर्ट बैठक बुलाई थी। बैठक शुरू होने से पहले अंतरिम सरकार में शामिल कुछ नेताओं ने छात्रों को उकसाते हुए कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट को घेर लें। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश पर न्यायिक तख्तापलट का आरोप लगाया हुए इस्तीफे के लिए एक घंटे का अल्टीमेटम दिया था।
प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट घेरते हुए मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीश वहाँ से भाग गए थे। हालाँकि, बाद में सब ने इस्तीफा दे दिया। इस बैठक से पहले कार्यवाहक सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद ने मुख्य न्यायाधीश को ‘फासीवाद का मित्र’ बताते हुए उनके इस्तीफे की माँग की थी। इसके साथ ही उन्होंने पूर्ण न्यायालय की बैठक को रद्द करने का अल्टीमेटम भी जारी किया था।
उधर, कट्टरपंथियों का हमला झेल रहा हिंदू समुदाय सड़कों पर उतर आया है। उनका साथ देने के लिए शेख हसीना की आवामी लीग के कार्यकर्ता भी मैदान में हैं। उन्होंने देश में अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून लागू करने और अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करने वालों पर त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष न्यायाधिकरणों के गठन की माँग की है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए संसद में 10 प्रतिशत आरक्षण की भी माँग की।