बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन की आड़ में पूरे देश को जला दिया गया। कर्फ्यू, गोलीबारी, लूट, हत्याओं का सिलसिला चल उठा। कोर्ट के आदेश से लागू हुए आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से हटा लिया, जिसके बाद आरक्षण विरोधी हिंसा की आग में जल रहे बांग्लादेश में शाँति आ जानी चाहिए थे, लेकिन बांग्लादेश में शांति की जगह अब प्रदर्शनकारी सरकार के इस्तीफे की माँग पर उतर आए हैं।
ऐसे में अब ये बात धीरे-धीरे ही सही, सामने आ रही है कि जो आरक्षण विरोधी हिंसा और प्रदर्शन हुए थे, वो सिर्फ छात्रों का गुस्सा नहीं, बल्कि उनके गुस्से को इस्तेमाल करने वाले इस्लामिक आतंकवादी थे। विपक्षी पार्टी बीएनपी थी। पाकिस्तानी आईएसआई के इशारे चलने वाली जमात थी, जिसपर बांग्लादेश ही नहीं, रूस भी प्रतिबंध लगा चुका है।
छात्र आंदोलन के 157 संयोजकों में से एक नाहिद इस्लाम ने 4 अगस्त 2024 से ‘पूर्ण अहसयोग‘ आंदोलन का ऐलान किया है, जिसमें शेख हसीना और उनके मंत्रिमंडल का इस्तीफा माँगा गया है। कथित छात्र आंदोलन की तरफ से इस राजनीतिक असहयोग आंदोलन के छेड़ने के पीछे के चेहरे अब बेनकाब हो रहे हैं। जो बताता है कि आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसा के पीछे राजनीतिक, कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतें और देश विरोधी ताकतों ने हाथ मिलाया हुआ है।
बता दें कि 3 अगस्त को ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों से विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने और हिंसा को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री आवास पर वार्ता के लिए बुलाया था। ये बातचीत बिना शर्त होनी थी। उन्होंने प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए छात्रों को भी रिहा करने के लिए कहा था। लेकिन ‘आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन’ के कन्वेनरों ने बातचीत के पीएम हसीना के न्यौते को ठुकरा दिया। नाहिद इस्लाम ने कहा कि आपातकाल या कर्फ्यू को कोई बांग्लादेशी स्वीकार नहीं करेगा और न ही हम कोई बातचीत करेंगे।
नाहिद ने ये जरूर कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के देखते ही गोली मार देने वाला आदेश वापस ले, साथ ही कहा कि ‘हत्यारी सरकार’ के साथ अब कोई बातचीत नहीं होगी, क्योंकि काफी समय बीत चुका है। यही नहीं, उन्होंने अख्तर हुसैन और आरिफ सोहेल को रिहा करने की भी माँग की।
ऐसे ही एक कन्वेनर अबू बकर मजूमदार ने बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रथन अलो’ से कहा कि अब बातचीत का मौका नहीं है। फैसला सड़कों से आएगा। कन्वेनर आसिफ महमूद ने भी सोशल मीडिया पर ‘हत्यारी सरकार’ और आवामी लीग के साथ किसी भी तरह की बातचीत के लिए हम तैयार नहीं हैं। यही नहीं, इस असहयोग आंदोलन के लिए 15 सूत्री दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं, जिसमें…
- 1- किसी को भी कोई टैक्स नहीं देना चाहिए।
- 2- किसी भी तरह का यूटिलिटी बिल न भरें, मसलन पानी-बिजली का बिल।
- 3-सभी सरकारी और निजी संस्थान, कार्यालय, न्यायालय, मिलें और कारखाने बंद रहेंगे। कर्मचारियों को महीने के अंत में अपना वेतन लेना चाहिए।
- 4- शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे।
- 5- प्रवासी लोगों को बैंकिंग माध्यम से कोई भी धन प्रेषण नहीं भेजना चाहिए।
- 6- सभी सरकारी बैठकों, सेमिनारों और कार्यक्रमों का बहिष्कार करें।
- 7- बंदरगाह कर्मचारियों को कोई भी सामान नहीं उतारना चाहिए।
- 8- मिलें और कारखाने बंद रहेंगे। आरएमजी श्रमिकों को काम पर नहीं जाना चाहिए।
- 9- सार्वजनिक परिवहन स्थगित रहेगा। श्रमिकों को काम पर नहीं जाना चाहिए।
- 10- बैंक सिर्फ जरूरी लेन-देन के लिए रविवार को खुलेंगे।
- 11- पुलिस अपने स्टेशनों पर केवल नियमित ड्यूटी करेगी तथा प्रोटोकॉल, दंगा या प्रदर्शनों को रोकने से जुड़ी ड्यूटी नहीं करेगी।
- 12- देश से कोई भी धन बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए, तथा कोई भी विदेशी लेनदेन नहीं होना चाहिए।
- 13- बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) और नौसेना को छोड़कर, अन्य बल अपनी छावनियों में ही रहेंगे। बीजीबी और नौसेना अपने बैरकों और तटीय क्षेत्रों में रहेंगे।
- 14- नौकरशाह सचिवालय नहीं जाएँगे। डीसी या उपजिला अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में नहीं जाएँगे।
- 15- लक्जरी सामान की दुकानें, शोरूम, होटल, मोटल और रेस्तराँ बंद रहेंगे।
बता दें कि कथित आरक्षण और भेदभाव विरोधी प्रदर्शनों के कन्वेनर ने जब प्रधानमंत्री की बातचीत की पेशकश को ठुकराया, उससे कुछ समय पहले ही अल-कायदा से जुड़ी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के प्रचारक डेविड बर्गमैन ने पीएम के प्रस्ताव को अस्वीकार करने की अपील की थी। ये इस बात का अच्छा-खासा संकेत है कि आरक्षण विरोधी प्रदर्शन पूरी तरह से सरकार विरोधी प्रदर्शन हैं, जिन्हें बर्गमैन का बॉस तारिक रहमान मैनेज कर रहा है। तारिक रहमान इस्लामिक आतंकवादी है और सजायाफ्ता भी, जो साल 2007 से बांग्लादेश से फरार है और यूके में रह रहा है।
बर्गमैन के अलावा भी बीएनपी ने जॉन डैनिलोविच जैसे पूर्व अमेरिकी राजनयिकों को भी झूठ फैलाने के लिए काम पर लगाए हुए हैं, जो काफी सालों तक अलकायदा से जुड़ी पार्टी-बीएनपी के लिए काम कर चुका है। यही नहीं, बीएनपी का महासचिव फखरुल इस्लाम आलमगीर तो अवामी लीग सरकार को तुरंत माफी माँगने और इस्तीफा देने के लिए भी कह चुका है। बताया जा रहा है कि लंदन में रहने वाला तारिक रहमान बीएनपी के धनी मेंबर्स से सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन को पैसे देने के लिए और छात्र आंदोलन के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में रहने का निर्देश दे चुका है। तारिक रहमान जैसे इस्लामिक आतंकवादी पर 2008 से ही अमेरिका ने वीजा-बैन लगाया हुआ है।
बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था को नष्ट करना है मकसद?
कथित आरक्षण विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं की ओर से जारी 15 सूत्रीय एजेंडे पर नजर डालें तो एक ही लक्ष्य नजर आता है- बांग्लादेश की समृद्ध अर्थव्यवस्था को नष्ट करना और देश को पाकिस्तान जैसे दिवालिया राष्ट्र में बदलना।
देशव्यापी हिंसा और आतंकवादी कारनामों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर पर बैन लगा दिया और इन्हें आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 की धारा 18/1 के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया। जमात-ए-इस्लामी का मतलब है “इस्लाम का समूह” और छात्र शिबिर का मतलब है “छात्र शिविर”।
रूस के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र रोसिस्काया गजेटा के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी को भी आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है और रूस में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
बांग्लादेश को बर्बाद करने के लिए अमेरिकी सीआईए और पाकिस्तानी आईएसआई द्वारा रची गई इन तथाकथित छात्र विरोध प्रदर्शनों का असली चरित्र अब सामने आ चुका है, जिससे ये साफ है कि बांग्लादेश को इस्लामवादी, जिहादी और आतंकवादी तत्वों के गठजोड़ से गंभीर खतरा है, जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं।
शांतिपूर्ण बातचीत को नकारना और विनाशकारी निर्देश जारी करना एक ऐसे एजेंडे को दर्शाता है जिसका उद्देश्य बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाना और अराजकता को भड़काना है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण समय में प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश के देशभक्त नागरिकों को देश की संप्रभुता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए निर्णायक और अडिग कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि नरमी बरतने का समय बीत चुका है। एक स्थिर और समृद्ध राज्य के रूप में बांग्लादेश का अस्तित्व इन सुनियोजित आतंकवादी कामों से कड़ाई से निपटने की वजह से ही बच पाएगा।