ऑस्ट्रेलिया की जेल में बंद बांग्लादेशी आतंकी मोमेना शोमा ने साथी कैदी पर चाकू से हमला किया। इस घटना के बाद उस पर आतंकवाद का एक और आरोप लगाया गया है। शोमा आतंकवाद के मामले में 42 साल जेल की सजा काट रही है और मेलबर्न के महिला कारागार में बंद है। उसकी लंबाई 150 सेमी ही है, जिसके कारण उसे ‘बौनी आतंकी’ भी कहते हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, रावेनहॉल के डेम फेलिस फ्रॉस्ट सेंटर में 30 अक्टूबर को जेल के अंदर 27 वर्षीय दो कैदियों के बीच झगड़ा हो गया। इसी दौरान शोमा ने चाकू से हमला किया। पीड़िता कैदी हाथ पर चोट लगने के बाद अस्पताल ले जाया गया। इस हमले के बाद आतंकवाद निरोधी पुलिस ने मोमेना शोमा पर हमले का आरोप लगाया। उसे नए आतंकी आरोपों के चलते मेलबर्न मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने वीडियो लिंक के जरिए पेश किया गया।
अदालत ने उसे 25 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई तक हिरासत में भेज दिया। कोरोना वायरस महामारी के चलते मामले की अगली सुनवाई में एक साल से भी अधिक समय लग सकता है।
बता दें फरवरी 2018 में अपने मकान मालिक को चाकू घोंपने के बाद मोमेना को जून 2019 में आतंकी आरोपों में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मोमेना आतंकी हमले को अंजाम देने के उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया आई थी। ऑस्ट्रेलिया पहुँचने के आठ दिन बाद ही उसने अपने मकान मालिक पर हमला किया था।
मोमेना ने ‘अल्लाहु अकबर’ बोलते हुए अपने मकान मालिक पर चाकू से कई बार तब वार किया था, जब वह अपनी 5 साल की बच्ची के साथ सो रहा था। वह इस हमले में बच गया था। हमले के बाद पीड़ित और उसकी बेटी दोनों ही पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित थे।
पूछताछ के दौरान, टेररिस्ट मोमेना शोमा ने पुलिस से कहा था कि वह आईएसआईएस के नाम पर आतंकी हमले करने के उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया आई थी। उसने पुलिस को यह भी बताया था कि उसने पहले एक अलग परिवार के साथ रहने के दौरान एक गद्दे पर छुरा घोंपकर हमले का अभ्यास किया था, और उसने रोजर को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि वह कमजोर था।
गौरतलब है कि जाँच के बाद शोमा दोषी करार दिया था। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि वह हिंसक जिहाद के कारण आतंक को आगे बढ़ाने के लिए आईएसआईएस से प्रेरित आतंकी हमले में लिप्त है। उसने ला ट्रोब विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति पर ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की थी। लेकिन उसकी यात्रा का असली उद्देश्य आतंकवादी हमलों को अंजाम देना था।
अदालत ने उसे उसे दोषी ठहराते हुए आदेश दिया कि 2013 में सीरिया और इराक में ISIS के वृद्धि के दौरान ही मोमेना शोमा कट्टरपंथी बन गई थी। हमले के दिन भी उसने आईएसआईएस मीडिया सेंटर से एक वीडियो डाउनलोड किया था। अदालत ने उसे आतंकी आरोपों में दोषी ठहराते हुए 42 साल की सजा सुनाई थी।