इंग्लैंड के लेस्टर (Leicester) और बर्मिंघम में बीते दिनों कट्टरपंथियों इस्लामवादियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाया गया। ताज़ा घटनाक्रम में यूके में पहली बार हिंदुओं-मुस्लिमों के बीच टकराव की खबर 28 अगस्त को आई थी। लेकिन इसके बाद लेस्टर में हिंदुओं, उनके घरों, मंदिरों और संपत्तियों पर सोची समझी साजिश के तहत हमला किया गया। यहाँ हिंदुओं के खिलाफ कई हमले हुए हैं, जो इस्लामवादियों, आतंकी संगठन अलकायदा (Al Qaeda) और आईएसआईएस (ISIS) के समर्थकों जैसे माजिद फ्रीमैन द्वारा फैलाई गई भ्रामक और गलत सूचनाओं से प्रेरित हैं।
हाल ही में देखा गया कि जब यहाँ हिंदू डर के साए में जीने को मजबूर थे। उस वक्त यूके का मीडिया (बीबीसी) इस्लामवादियों द्वारा की गई हिंसा के लिए हिंदुओं पर दोष मढ़ने में व्यस्त था। हालाँकि, बीबीसी ने अब अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात से किनारा कर लिया है। उसने यू-टर्न लेते हुए कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि हिंसा हिंदुओं द्वारा शुरू की गई थी। दरअसल, बीबीसी ने हाल ही में ‘क्या गलत सूचनाओं के कारण लेस्टर में हिंसा भड़की’ (Did misinformation fan the flames in Leicester?) शीर्षक से अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की।
इसमें उसने कहा, “कुछ लोग तनाव और उसकी प्रतिक्रिया को हिंदुत्व की विचारधारा से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि भारतीय हिंदूवादी राजनीति को लेस्टर में लाया जा रहा है, लेकिन अभी तक बीबीसी को इस तरह के समूहों से इस मामले में कोई सीधा संबंध नहीं मिला है।”
इससे पहले मीडिया ऐसी ख़बरें चला रहा था जैसे यूके में लेस्टर के अलावा जहाँ भी हिंसा हुई उन सबके लिए हिंदू जिम्मेदार हैं। हिंदुत्व और हिंदुओं के खिलाफ इस नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश करने के कुछ दिनों बाद यूटर्न ले लिया गया। यह सबसे अच्छा तरीका है खुद को पाक साफ बताने का। बीबीसी ने इस बात को स्वीकार किया है कि हिंदुओं ने लेेस्टर में हिंसा की शुरुआत नहीं की थी। लेकिन, यह भी सच है कि इस्लामवादी वहाँ हिंदुओं के खिलाफ उग्र हो गए थे।
बीबीसी ने एक सप्ताह तक लेस्टर हिंसा को लेकर किए गए दावों का फैक्ट चेक किया और ये देखना चाहा कि किसने हिंसा को भड़काने का काम किया, कौन इसके लिए जिम्मेदार रहा। लेकिन, बीबीसी को इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए भी कोई सबूत नहीं मिला कि यह लेस्टर के मुस्लिम समुदाय ने शुरू किया था। इसके अलावा साक्ष्य के रूप में सामने आए कई वीडियो के बावजूद बीबीसी इस बात की जाँच करने में विफल रहा कि कट्टरपंथी मुस्लिम समुदाय ने हिंसा कैसे शुरू की।
यूके के मीडिया ने इस बात को स्वीकार किया है कि इस्लामवादियों द्वारा गलत सूचना फैलाई गई। आईएसआईएस और अलकायदा समर्थक माजिद फ्रीमैन का नाम लेते हुए बीबीसी ने कहा कि उसने ही एक हिंदू युवक द्वारा मुस्लिम लड़की के अपहरण किए जाने की फर्जी खबर फैलाई थी। बीबीसी ने आगे यह भी स्वीकार किया कि हिंसा फैलाने के लिए लेस्टर के बाहर से हिंदुओं को ले जाने वाले लंदन के कोच की तरह अन्य फर्जी खबरें भी फैलाई गईं। जबकि ऑपइंडिया यह पहले ही बता चुका था कि लंदन कोच कंपनी के मालिक ने इस खबर को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि उनके कोच हिंसा के दिनों में लेस्टर में भी नहीं थे।
बीबीसी ने लेस्टर में मंदिर को अपवित्र करने और झंडे को नीचे गिराए जाने की बात करते हुए (वे यह उल्लेख करने में विफल रहते हैं कि एक झंडे को आग भी लगा दी गई थी), इस ओर इशारा किया कि वह एक हिंदू भी हो सकता है, जिसने ध्वज को गिराया। क्योंकि झंडा नीचे गिराने वाले कि पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
यही नहीं, बीबीसी हिंदुओं के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने वाले इस्लामवादियों को बचाने की कोशिश भी करता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि वह उनके (हिंदुओं) खिलाफ हिंसा को भड़काता भी है। बीबीसी ने एक ट्विटर हैंडल की पहचान को छुपाया, जब वह एक मंदिर के बारे में गलत सूचना फैला रहा था।
ऑपइंडिया इस ट्विटर हैंडल को खोजने में कामयाब रहा। इसे @aart123 नाम के एक हैंडल से शेयर किया गया था। फेक न्यूज वाला ट्वीट अभी भी सोशल मीडिया पर मौजूद है। ऐसे में बिना किसी अस्पष्ट कारण के बीबीसी ने इस ट्विटर हैंडल की पहचान को छिपाने का काम किया।
A Hindu Temple in Ealing implicated in sending mobs of masked hindutva thugs to Leicester using Angel Tours. What action will police take against these terrorists? #leicester #metpolice #Mi5 #hindutva #Prevent pic.twitter.com/71WU3TctLo
— aart123 (@aart1231) September 18, 2022
इसके अलावा हिंदुओं को निशाना बनाने वाले इस्लामवादियों की भूमिका पर पर्दा डालने वाले बीबीसी ने अलकायदा और आईएसआईएस समर्थक माजिद फ्रीमैन को सामुदायिक कार्यकर्ता के रूप में पेश किया।
बीबीसी का दुख, लेस्टर के हिंदुओं का भारतीय हिंदुओं ने किया समर्थन
भले ही बीबीसी की रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य गलत सूचनाओं के बारे में बात करना था। लेकिन कई अन्य तथ्य भी हैं, जो बीबीसी के वास्तविक इरादे को दर्शाते हैं। सबसे पहले, उन्होंने इस्लामवादियों द्वारा किए गए कुकृत्य पर कैसे पर्दा डालने की कोशिश की और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा फैलाने वालों की पहचान छिपाई। इससे भी कहीं ज्यादा दुख उन्हें इस बात का पहुँचा कि कैसे भारत के हिंदुओं ने लेस्टर के हिंदुओं को अपना समर्थन दिया।
वे इस तथ्य पर भी हैरान हैं कि लेस्टर हिंसा के बारे में बात करने के लिए साझा किए गए 30 टॉप URL में से 11 इंडिया के ऑपइंडिया लिंक थे। वे जिन लेखों का हवाला देते हैं, उनमें से एक हेनरी जैक्सन रिसर्च फेलो शार्लोट लिटिलवुड (Charlotte Littlewood) का है। इसमें उन्होंने बताया था कि लेस्टर में हिंदू परिवार दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं। 9 हिंदू परिवारों ने पलायन कर लिया है। वहाँ कट्टरपंथी मुस्लिमों के आतंक से वे अपने घरों के बाहर हिंदू-प्रतीक तक नहीं लगा सकते। बीबीसी इस बारे में लिखता है कि कैसे पुलिस ने इन रिपोर्टों का खंडन किया है। लेकिन लिटिलवुड अपनी बात पर कायम हैं।
एक रिपोर्ट जिसे बीबीसी द्वारा निष्पक्ष और तटस्थ बताया जा रहा है। वह केवल हिंदू समुदाय को बदनाम करने और लेस्टर में हिंसा को बढ़ावा देने वाले कट्टर मुस्लिम समुदाय को बचाने का एक और प्रयास है। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में बीबीसी ने लेस्टर हिंसा के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया था।
इस ओर ध्यान दें कि अपनी ताजा रिपोर्ट में बीबीसी ने हिंसा के लिए पूरी तरह से हिंदुओं पर दोष मढ़ने कि बजाए यह कहकर अपने आपको निष्पक्ष दिखाने कि कोशिश की है कि वे नहीं जानते कि हिंसा किसने शुरू की। हालाँकि, वे अभी भी पीड़ितों-हिंदुओं से कोई सरोकार नहीं रखते हुए लेस्टर के इस्लामवादियों को बचाने में लगे हुए हैं। यहाँ तक कि बीबीसी ने अपनी पिछली रिपोर्टों के लिए कोई माफी भी नहीं माँगी है, जिसमें उन्होंने हिंदुओं पर झूठा आरोप लगाया था कि हिंसा के लिए वे जिम्मेदार हैं।