ब्रिटेन ने अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी व मानवाधिकार दिवस के मौके पर कुल 30 व्यक्तियों और संस्थानों पर बैन लगा दिया है। इन सभी लोगों पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप है। इसमें पाकिस्तान में हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण करवाने वाला मौलाना अब्दुल हक भी शामिल है। ब्रिटिश शासन ने अपने द्वारा उठाए गए इस कदम के पीछे स्वतंत्र और मुक्त समाज की सोच को बताया है। प्रतिबंधित लोगों व समूहों की यह सूची शुक्रवार (9 दिसंबर, 2022) को जारी की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिर्टिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने यह लिस्ट जारी की है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन दुनिया भर में मानवाधिकार के मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। क्लेवरली के मुताबिक, लिस्ट में शामिल प्रतिबंधित लोग या समूह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मानवाधिकार के हनन में शामिल थे। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन डर और स्वतंत्रता के मूल्यों को बचाने के लिए अपने पास उपलब्ध हर विकल्प का इस्तेमाल करेगा।
ब्रिटिश शासन ने मौलाना अब्दुल हक को मियाँ अब्दुल हक नाम से संबोधित किया है। उस पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण और लड़कियों के जबरन निकाह का आरोप है। मौलाना अब्दुल हक इस लिस्ट में एकलौता पाकिस्तानी है। उसके अलावा उगांडा, निकारगुआ, रूस, क्रीमिया आदि देशों के अन्य लोग शामिल हैं। सबसे अधिक प्रतिबंधित संख्या रूस के लोगों की है।
The UK is committed to defending the human rights of everyone, everywhere.
— Foreign, Commonwealth & Development Office (@FCDOGovUK) December 9, 2022
Ahead of #HumanRightsDay, we are imposing new sanctions on those violating human rights around the globe 🌍
→ https://t.co/rfJ7XLxUm1 pic.twitter.com/wL5zXXpsk9
कौन है मौलाना अब्दुल हक
गौरतलब है कि मौलाना अब्दुल हक पाकिस्तान के शीर्ष कट्टरपंथियों में गिना जाता है। उसका प्रभाव क्षेत्र सिंध प्रान्त में अधिक है। वह कई वर्षों में पाकिस्तान में हिन्दुओं के जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर विवादों में रहा है। मौलाना पर हिन्दू समाज की नाबालिग लड़कियों के भी अपहरण और अधिक उम्र के मुस्लिमों से जबरन निकाह के आरोप लगते आए हैं। आरोप यह भी है कि पाकिस्तान की पुलिस द्वारा उस पर कभी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।