पाकिस्तान में उठापटक तेज हो गई है। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने हाल ही में पाकिस्तान में एक बड़े राजनीतिक आंदोलन की घोषणा की। उनका कहना था कि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बिना इस आंदोलन के देश में कोई सुधार संभव नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “अब सरकार की ओर से होने वाले किसी भी हमले का जवाब दिया जाएगा। अगर गोली चलाई गई, तो उसका जवाब गोली से दिया जाएगा, अगर किसी ने लाठी चलाई, तो लाठी से जवाब मिलेगा, और अगर गोले दागे गए, तो उसका जवाब भी गोले से ही दिया जाएगा।”
गंडापुर ने कहा कि अब अगर कोई चलाएगा तो उसके ऊपर गोली चलाई जाएगी। अगर तुम एक गोली मारोगे तो हम तो हम 10 गोली चलाएँगे। यह बयान तब आया जब गंडापुर रावलपिंडी में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें बुरहान इंटरचेंज पर रोक दिया गया था।
While #PTI CM KP Ali Amin Gandapur is issuing threats to institutions and inciting people to respond with violence, Governor #KhyberPakhtunkhwa @fkkundi has taken a responsible approach.
— Osama Yawar (@osamayawark) September 29, 2024
Faisal Karim Kundi has written letters not only to the CM KP but also to the provincial… pic.twitter.com/bgrrbBknxq
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रावलपिंडी में PTI के समर्थक अपने नेता इमरान खान के आह्वान पर सड़कों पर उतरे थे। यह प्रदर्शन तब हुआ जब पार्टी के कई बड़े नेता देश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान कर रहे थे। प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य था सरकार की नीतियों का विरोध करना और PTI के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना। हालाँकि, इस प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी और PTI समर्थकों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हो गईं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी और लाठीचार्ज का सामना किया।
Hats off to the brave residents of Rawalpindi for putting up a great show of resistance to protest against the undemocratically imposed government in Pakistan. The point has been made and it was a wise decision by PTI and CM Gandapur to call it off.pic.twitter.com/eOx5FdV6Vl
— Ahsan Iqbal (@ahsan_iqbal93) September 28, 2024
अली अमीन गंडापुर, जो कि इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए जा रहे थे, उन्हें बुरहान इंटरचेंज पर कई घंटों तक रोका गया। प्रशासन ने PTI के विरोध को रोकने के लिए कई जगहों पर कंटेनर लगा दिए थे और सड़कों को बंद कर दिया था। इससे गंडापुर का काफिला भी कई घंटे तक इंटरचेंज पर फँसा रहा। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संदेश भेजा कि उन्हें प्रदर्शन खत्म करना होगा और वापस लौटना होगा।
उन्होंने अपने समर्थकों से कहा, “हम अपने संवैधानिक अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमें हमारा अधिकार देने को तैयार नहीं है। जब हम वापस लौटेंगे, तो अपने साथ सभी संसाधन लाकर फिर से संघर्ष करेंगे।” उनके इस बयान से साफ था कि वह इस संघर्ष को और अधिक तीव्रता से जारी रखने के लिए तैयार हैं।
Peaceful protestors in Rawalpindi say the police are firing directly at unarmed marchers. Mosques and Shrines were also shelled by the fascist forces of the military regime.
— PTI USA Official (@PTIOfficialUSA) September 28, 2024
Today’s protest call by PTI and Imran Khan was for the independence of the judiciary and against… pic.twitter.com/sVDwrOIadT
गंडापुर ने एक वीडियो संदेश में दावा किया कि पुलिस ने उनके समर्थकों पर सीधे फायरिंग की और आंसँ गैस के गोले दागे। उनके मुताबिक, हर तीन किलोमीटर पर पंजाब पुलिस गोलियाँ और गोले दाग रही थी। इस दौरान तीन PTI कार्यकर्ताओं को गोली लगी और 50 से अधिक लोग घायल हुए। यह एक गंभीर आरोप था, जिसने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया।
गंडापुर ने यह भी दावा किया कि PTI कार्यकर्ताओं ने कुछ पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया था, लेकिन उनके आदेश पर उन्हें रिहा कर दिया गया। इस बयान के साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह इसे कोई धमकी नहीं मानते, बल्कि इसे एक “अंतिम चेतावनी” के रूप में देखा जाना चाहिए। उनका संदेश था कि अगर सरकार और संस्थाएं जनता की आवाज नहीं सुन सकतीं, तो उन्हें पीछे हट जाना चाहिए और राजनीतिक निर्णयों को राजनीतिक नेताओं के हाथों में छोड़ देना चाहिए।
हालाँकि, जब गंडापुर ने प्रदर्शन को स्थगित करने का ऐलान किया, तो PTI के समर्थकों में भारी नाराजगी देखी गई। बुरहान इंटरचेंज पर प्रदर्शनकारियों ने गंडापुर के खिलाफ नारेबाजी की और उनके वाहन को घेर लिया। उन्होंने गंडापुर से इस्तीफा देने की मांग की, क्योंकि वे प्रदर्शन खत्म करने के उनके फैसले से सहमत नहीं थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें संघर्ष जारी रखना चाहिए था।
DIG Operations reached Chongi No. 26 on the other hand PTI's caravan led by Ali Amin Gandapur will reach Chongi No. 26 from the motorway after some time.#RawalpindiProtest pic.twitter.com/nGHA9UKQCk
— Malik Zarrar (@malikzarrar92) September 28, 2024
PTI नेता आज़म स्वाती ने इस स्थिति में हस्तक्षेप किया और प्रदर्शनकारियों को शांत किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय PTI के अध्यक्ष इमरान खान के निर्देशों पर लिया गया है और हमें उनके आदेश का पालन करना होगा। स्वाती के हस्तक्षेप से प्रदर्शनकारियों को शांत किया गया और अंततः प्रदर्शन खत्म हो गया।
#RawalpindiJalsa#PTIProtest
— Malik Usama Khokhar (@MrUsamaKhokhar) September 28, 2024
Dear friends, watch the clip of our Revolutionary poet Ahmad Farhad @AhmadFarhadReal.
He was leading the protest rally today in Rawalpindi against the unconstitutional government that came into power on the basis of form 47. pic.twitter.com/RMC7hr80ux
इससे पहले, पंजाब सरकार ने रावलपिंडी में धारा 144 लागू कर दी थी, जिससे किसी भी प्रकार की राजनीतिक रैली, धरना या विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाई गई थी। इसके बावजूद PTI ने प्रदर्शन करने का फैसला किया था, जो बाद में हिंसक रूप में बदल गया। पुलिस ने शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे और शहर को “हाई अलर्ट” पर रखा गया था। रावलपिंडी के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस के प्रवक्ता ने साफ कर दिया था कि शहर में किसी भी अवैध जनसभा की अनुमति नहीं दी जाएगी और अगर किसी ने कानून का उल्लंघन किया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदर्शन के दौरान PTI के कुछ प्रमुख नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया। PTI अध्यक्ष बैरिस्टर गोहर अली खान और सलमान अकरम राजा को रावलपिंडी के पास सेक्टर H-13 में हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने उन्हें रोककर हिरासत में ले लिया था, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। गोहर और सलमान ने बाद में बताया कि पुलिस ने उन्हें रावलपिंडी जाने से मना कर दिया था और वापस लौटने का निर्देश दिया था।
PTI ने पहले रावलपिंडी के लियाकत बाग में एक बड़ी जनसभा करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इमरान खान के निर्देश पर इसे प्रदर्शन में बदल दिया गया। PTI ने लाहौर हाई कोर्ट की रावलपिंडी बेंच से रैली के लिए NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) माँगने की अर्जी भी वापस ले ली थी।
गंडापुर के नेतृत्व में यह आंदोलन सरकार के खिलाफ PTI के संघर्ष का एक हिस्सा है, जो लंबे समय से जारी है। PTI के समर्थकों का मानना है कि उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और इस आंदोलन का उद्देश्य इन अधिकारों को पुनः प्राप्त करना है।
अली अमीन गंडापुर के नेतृत्व में PTI का यह नया आंदोलन पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ ले सकता है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई और प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस और प्रशासन के कड़े कदमों के कारण उन्हें अपने समर्थकों को वापस बुलाना पड़ा। इसके बावजूद, गंडापुर और PTI के अन्य नेता इस संघर्ष को जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ता है और पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।