स्विट्जरलैंड में बुर्का या नकाब पहनने पर प्रतिबंध (Switzerland Burqa Ban) लगा दिया गया है। 20 सितंबर 2023 को स्विस संसद के निचले सदन ने इस पर मुहर लगाई है। इसके मुताबिक स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर नाक, मुँह और आँखों को ढकने वाले नकाब या बुर्के को पहनना गैर कानूनी माना जाएगा। ऐसा करने पर एक हजार स्विस फ्रैंक यानी करीब 92 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।
इसके साथ ही स्विट्जरलैंड उन यूरोपीय देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने बुर्का या नकाब को प्रतिबाधित कर रखा है। इससे पहले फ्रांस, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड जैसे देश इस पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। यूरोप के बाहर चीन और श्रीलंका में भी बुर्के पर प्रतिबंध है।
स्विटज़रलैंड की संसद के निचले सदन में बुर्का एवं नकाब प्रतिबंधित करने को लेकर हुए मतदान में 151 सांसदों ने इसके पक्ष में मत दिया, जबकि 29 सांसद इसके विरोध में रहे। इस प्रस्ताव को स्विट्जरलैंड का उच्च सदन पहले ही स्वीकार कर चुका है।
विश्व के अमीर देशों में शामिल स्विट्जरलैंड में अधिकांश निर्णय जनमत द्वारा लिए जाते हैं। देश भर में सार्वजनिक स्थानों तथा ऐसी निजी इमारतों जहाँ लोगों का आना-जाना है, में बुर्का पर प्रतिबंध को लेकर वर्ष 2021 में जनमत संग्रह किया गया था। इस जनमत संग्रह में 51% लोगों ने बुर्का पर बैन को लेकर अपना मत दिया था।
सार्वजनिक स्थानों में बुर्का और निकाब प्रतिबंधित करने को लेकर स्विटज़रलैंड के एक समूह एगरकिनजेन कमिटी ने वर्ष 2016 में प्रयास चालू किए थे। इसके बाद वर्ष 2021 में वोटिंग हुई थी। जनमत संग्रह के नतीजों को स्विट्जरलैंड की राष्ट्रवादी स्विस पार्टी ने कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध एक बड़ी जीत बताया था।
स्विट्जरलैंड में प्रांतीय व्यवस्था को कम्यून कहा जाता है। यह अपने निर्णय लागू करने के लिए स्वतंत्र होती हैं। यहाँ की दो कम्यून दक्षिणी तिचिनो और उत्तरी सेंट गैलन में पहले ही बुर्का को प्रतिबंधित कर चुका है। संसद से पास कानून का आशय यह है कि कोई भी महिला या पुरुष चेहरा ढक कर अपनी पहचान न छिपा पाए। हालाँकि नए नियम में कुछ छूट भी दी गई हैं। तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू के अनुसार यह छूट मजहबी आयोजनों, स्थानीय रीति-रिवाज से जुड़े कार्यक्रमों और थिएटर आदि में किए जाने वाले अभिनय आदि पर लागू होगी।
स्विटज़रलैंड की कुल जनसंख्या लगभग 89 लाख होने का अनुमान है। इसमें 62.6% ईसाई और 5.4% मुस्लिम हैं। देश में लगभग 30% लोग ऐसे हैं जो कि किसी धर्म को नहीं मानते।