Monday, November 18, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'तिब्बत में चीन कर रहा सांस्कृतिक नरसंहार': UNHRC से मानवाधिकार उल्लंघन पर विशेष सत्र...

‘तिब्बत में चीन कर रहा सांस्कृतिक नरसंहार’: UNHRC से मानवाधिकार उल्लंघन पर विशेष सत्र बुलाने की माँग

“बीते छह दशक और उससे भी ज्यादा समय से तिब्बत के अंदर तिब्बती लोग चीन की सरकार के सत्तावादी शासन के तहत पीड़ा का सामना कर रहे हैं। चीनी सरकार ने तिब्बतियों से उनके मौलिक मानवाधिकार भी छीन लिए हैं। तिब्बत के लोगों की विशिष्ट पहचान को खत्म कर दिया और उन्हें मानव होने की अंतर्निहित गरिमा से भी वंचित कर दिया।”

चीन को उसकी ‘विस्तारवादी नीति’ के लिए लताड़ लगाने के बाद अब केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (CTA) ने रविवार (जून 28, 2020) को उस पर तिब्बत में ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से अनुरोध किया कि वह चीन द्वारा तिब्बत और उसके तहत आने वाले अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे ‘मानवाधिकार उल्लंघनों’ (Human rights violations) पर एक विशेष सत्र बुलाए।

धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बत प्रशासन को तिब्बत की निर्वासित सरकार के तौर पर भी जाना जाता है। सीटीए ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी “एकजुट होने और बहुत देर हो जाने से पहले यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि चीन मानवाधिकार संबंधी जवाबदेहियों समेत अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत आने वाले दायित्वों का निर्वहन करे।”

सीटीए के अध्यक्ष लोबसांग सांगय ने एक बयान में कहा, “हम यूएनएचआरसी और सदस्य राष्ट्रों से चीन द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के आकलन के लिए विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध करते हैं।”

तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री सांगेय ने कहा, “सीटीओ और तिब्बत के अंदर और बाहर रहने वाले तिब्बती यूएनएचआरसी के तहत संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का आह्वान करते हैं कि वे चीन द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ तत्काल कदम उठाएँ।”

सांगेय ने चीन पर तिब्बत और उसके तहत आने वाले अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन का भी आरोप लगाया।

तिब्बत के लोगों को मानव होने की अंतर्निहित गरिमा से भी कर दिया वंचित

उन्होंने कहा, “बीते छह दशक और उससे भी ज्यादा समय से तिब्बत के अंदर तिब्बती लोग चीन की सरकार के सत्तावादी शासन के तहत पीड़ा का सामना कर रहे हैं। चीनी सरकार ने तिब्बतियों से उनके मौलिक मानवाधिकार भी छीन लिए हैं। जिनकी गारंटी मानवाधिकार के वैश्विक घोषणा-पत्र के तहत भी मिलती है, तिब्बत के लोगों की विशिष्ट पहचान को खत्म कर दिया और उन्हें मानव होने की अंतर्निहित गरिमा से भी वंचित कर दिया।”

उन्होंने कहा, “चीन की सरकार द्वारा तिब्बतियों को दी जाने वाली यातनाएँ, लोगों को गायब कर देना, मठों में तोड़फोड़ मानवता के खिलाफ अपराध है और इसे ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ से कम नहीं ठहराया जा सकता।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -