UK के स्कूलों में बच्चों को ‘सेक्स एजुकेशन’ के नामक अश्लील चीजें दिखाई और बताई जा रही हैं। 17 से भी कम उम्र के बच्चों को हस्तमैथुन, ऑर्गेज्म और अप्राकृतिक सेक्स के बारे में बताया जा रहा है। ये सब ‘रेलशनशिप एन्ड सेक्स एजुकेशन (RSE)’ के नाम पर किया जा रहा है। इसके लिए रंग-बिरंगी किताबों के अलावा कार्टून ड्रॉइंग्स और वर्ड सर्च गेम्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, आजकल आ रहे अलग-अलग जेंडरों के बारे में भी बच्चों को बताया जा रहा है।
EXCLUSIVE Twelve-year-olds are being taught about anal sex in school while nine-year-olds are told to 'masturbate' for homework: The shocking lesson plans used by teachers in UK classroomshttps://t.co/csrwIhoDQT via @MailOnline
— Chris Matthews (@ByChrisMatthews) June 18, 2023
जो किशोरावस्था में भी नहीं पहुँचे हैं, उन्हें भी एडल्ट ग्राफिक्स दिखाए जा रहे हैं और सेक्स और रिलेशनशिप की शिक्षा के नाम पर अश्लील चित्र-वीडियोज दिखाए जा रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि नॉन-बाइनरी (ना लड़का न लड़की) क्या होता है। इसके लिए ‘Coram लाइफ एजुकेशन’ और ब्रूक एन्ड सेक्स एजुकेशन फोरम (SEF) जैसी कई संस्थाएँ इन सब में घुस गई हैं। साथ ही कई एक्टिविस्ट शिक्षक बन कर ये सब कर रहे हैं।
अब स्थिति यहाँ तक जा पहुँची है कि ‘बायोलॉजिकल सेक्स’ और ‘अंडरएज सेक्स’ को लेकर चीजें बच्चों को बताई जा रही हैं। ये संस्थाएँ पर्सनल, सोशल, हेल्थ और इकोनॉमिक एजुकेशन पर कार्यक्रम आयोजित करती हैं। हर साल 6 लाख बच्चे इन वर्कशॉप्स का हिस्सा बनते हैं। ये संस्थाएँ सरकारी नीतियों में हस्तक्षेप भी करती हैं। 9 साल के बच्चों को बताया जा रहा है कि लड़का और लड़की मास्टरबेशन कैसे करते हैं। उन्हें LGBTQ और हस्तमैथुन के बारे में बताया जा रहा है।
इससे यूके के अभिभावक भी नाराज़ हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि बच्चों को बच्चा ही रहने दिया जाना चाहिए। ‘नेशनल काउंसिल ऑफ इंटीग्रेटेड साइकोथेरेपिस्ट’ के निदेशक रे फ्रीमैन ने कहा कि कहीं इससे ऐसी स्थिति न पैदा हो जाए कि कुछ लड़कियाँ खुद को अलग जेंडर का बताते हुए अलग क्लासरूम की माँग करने लगे। विशेषज्ञों ने कहा है कि बच्चों को विचारधाराओं से दूर ही रखा जाना चाहिए और उन्हें मूलभूत चीजें ही सिखाई जानी चाहिए।