भारत और नेपाल के बाद अब चीन ने भूटान पर अपनी टेढ़ी नज़र डाली है। उसने अब भूटान की ज़मीन को अपना बताया है। इससे नई दिल्ली स्थित सत्ता के गलियारों में चिंता जताई गई है क्योंकि अभी तक भूटान की स्वायत्तता की रक्षा भारत ही करता आ रहा है।
पूर्वी भूटान के त्राशीगंग जिले में अमेरिका की ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF) ने एक ऑनलाइन बैठक में वहाँ वाइल्डलाइफ पार्क बनाने का निर्णय लिया था, जो चीन को रास नहीं आया। चीन ने इसके निर्माण को लेकर आपत्ति जताई है।
बता दें कि GEF दुनिया भर में पर्यावरण के क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स की फंडिंग की व्यवस्था करता रहा है। अब जब GEF ने इस प्रोजेक्ट को फंडिंग के लिए अनुमति दे दी है, भूटान ने चीन के दावों पर आपत्ति जताई है। GEF ने भी चीन के दावों को दरकिनार कर दिया है।
वर्ल्ड बैंक के बोर्ड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपर्णा सुब्रमणि ने इस बैठक में भूटान का प्रतिनिधित्व किया। वो एक IAS अधिकारी हैं, जो सितंबर 2017 से ही इन मामलों में न सिर्फ भारत और भूटान बल्कि बांग्लादेश और श्रीलंका का भी प्रतिनिधित्व करती रही हैं।
जून 2 और 3 को हुई GEF की बैठकों में भी चीन ने इस पर आपत्ति जताई थी। काउंसिल की बैठक की डिटेल्स में भी चीनी आपत्ति को जगह दी गई है।
चीन ने कहा है कि सतकेन्ग वाइल्डलाइफ प्रोजेक्ट जहाँ स्थापित किया जा रहा है, वो एक विवादित जमीन है जो चीन-भूटान की सीमाओं के निर्धारण के लिए होने वाली बैठकों में चर्चा का हिस्सा बनता है। इसीलिए, चीन ने इसका विरोध करते हुए इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की हिस्सेदारी से इनकार कर दिया।
कहा जा रहा है कि चीन द्वारा भारत को परेशान करने के लिए ये उसकी एक नई चाल है, जिसके लिए भूटान को निशाना बनाया जा रहा है।
चीन ने कहा है कि भूटान और उसकी सीमाओं का अभी निर्धारण ही नहीं हुआ है और वो किसी तीसरे पक्ष (भारत) द्वारा इसमें हस्तक्षेप करने का विरोध करता है। अब तक चीन ने पूर्वी सीमा पर ऐसी हरकत नहीं की थी। 2017 में भी डोकलाम में चीन ने घुसपैठ की थी, जिसका भारत ने तगड़ा जवाब दिया था।
#China has included #Bhutan’s ‘Eastern sectors’ to the boundary dispute between the two countries for the first time https://t.co/8i5gFwLURz
— The Hindu (@the_hindu) July 5, 2020
भारत ने भूटान का प्रतिनिधित्व करते हुए चीन के दावों को पूरी तरह से नकार दिया। भूटान ने कहा कि ये भूमि न तो विवादित है और न ही चीन-भूटान की बातचीत का हिस्सा है। ये भूटान का एक अभिन्न अंग है।
बता दें कि नेपाल की ‘सर्वे डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर इंडस्ट्री’ ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कुल मिला कर चीन ने अब तक 10 अलग-अलग क्षेत्रों में नेपाल की 33 हेक्टेयर की जमीन का अवैध अतिक्रमण किया है।