पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में एक 30 साल की ईसाई नर्स की बेहरमी से पिटाई करने का मामला सामने आया है। पीड़ित की पहचान तबीथा नजीर गिल ( Tabitha Nazir Gill ) के तौर पर हुई है। स्थानीय रिपोर्ट्स का कहना है कि मुस्लिम सहकर्मी के साथ आपसी बहस के बाद उस पर हमला किया गया। पहले उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया फिर पिटाई की गई।
तबीथा, कराची के सोभराज मैटरनिटी अस्पताल में पिछले 9 साल से कार्यरत हैं। हैरानी की बात यह है कि उनके साथ हुई हिंसा के बाद पुलिस आई और उन्हें ही हिरासत में लेकर चली गई।
इंटरनेशनल क्रिश्चियन कन्सर्न के सूत्रों के अनुसार, अस्पताल की प्रमुख नर्स ने मरीजों से किसी प्रकार की टिप लेने और पैसे लेने से मना किया था। बस यही बात तबीथा ने उस दिन अपनी साथी को याद दिला दी, जो एक मरीज से पैसे ले रही थी। जवाब में सहकर्मी ने बेवजह उस पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया। बाद में उसे रस्सियों से बाँधे रखा गया, उसे प्रताड़ित किया गया और मारपीट करके पुलिस हिरासत में भेजा गया।
Tabita, a #Christian nurse & gospel singer was falsely accused of Blasphemy in Karachi. Later, she was proved innocent and released. But what about these ladies who beaten her. Will they be held accountable?#PakMinoritiesNeedYourSupport pic.twitter.com/eiXKqrbyaf
— Voice of Pakistan Minority (@voice_minority) January 29, 2021
जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने गिल को रिहा कर दिया है। सैंकड़ों मुस्लिमों के दबाव में उसके ख़िलाफ़ मुकदमा भी हुआ है।
बता दें कि इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई है। वीडियो में देख सकते हैं कि नर्स खुद को कमरे में बंद करके बैठी है और बाकी अन्य लोग कमरे में घुसने की कोशिश करते हैं। आदमी कहते हैं कि नर्स के पास लेडीज को भेजो और उसे मारो।
इसके बाद कुछ बुर्का पहनी महिलाएँ गुस्से में गेट खोल कर आगे बढ़ती हैं। नर्स के लिए कहा जाता है, “खोल दरवाजा रं*&।” अगले ही पल सारी महिलाएँ उस कमरे में होती हैं जिसमें नर्स ने खुद को बंद किया होता है। सब उसको घेरती हैं। पीछे से आदमी कहते हैं, “गुस्ताखी की है इसने।” इतने में बुर्का पहनी महिलाएँ उन्हें मारने लगती हैं। डंडे से भी एक महिला उस नर्स को पीटते दिख रही है। वही उसकी सहकर्मी भी उसे मारती है।
वह लगातार कैमरे में देख कर कहती हैं कि उसने कुछ नहीं कहा। किसी को कुछ नहीं बोला। मगर, बाकी सब उससे किसी कागज पर कुछ लिखकर साइन करने को मजबूर करते रहते हैं।
बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के फर्जी आरोप में किसी से निजी दुश्मनी निकालना, मॉब लिंचिंग करना, दिन दहाड़े हत्या करना व मास प्रोटेस्ट बेहद आम है। पाकिस्तान ने 1987 में देश के ईशनिंदा कानून में 295-बी और 295-सी धाराओं को जोड़ा था। धीरे धीरे ये मामले वहाँ तेजी से बढ़े। केवल 1987 से 2017 के बीच 1534 मामले सामने आए। इनमें 829 केवल अल्पसंख्यकों पर इल्जाम थे, जिसमें 238 आरोपित ईसाई धर्म से ताल्लुक रखते थे।