जर्सी फुटबॉल की-दाढ़ी मुल्लों जैसी, चाकू-बंदूक और रॉकेट से भी लैस: कतर टीम पर फ्रेंच पत्रिका के कार्टून से भड़के इस्लामवादी

फ्रेंच पत्रिका के कार्टून से इस्लामवादी नाराज (फोटो साभार: @AJEnglish)

20 नवंबर 2022 से कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप (FIFA WC 2022) शुरू होना है। इससे पहले इस्लामी राष्ट्र के सख्त कानूनों को लेकर खिलाड़ी और प्रशंसकों में चिंता देखी जा रही है। इस बीच फ्रांस की एक पत्रिका के कार्टून को लेकर विवाद हो गया है। कतर फुटबॉल टीम को इस कार्टून में जिस तरीके से दिखाया गया है, उससे दुनिया भर के मुस्लिम भड़क गए हैं।

यह कार्टून फ्रेंच पत्रिका लु कैना हौसेने (Le Canard enchaîné) में छपी है। इसमें कुछ लोग फुटबॉल जर्सी पहने इस्लामी आतंकियों की वेशभूषा में दिख रहे हैं। जर्सी पर कतर लिखा हुआ है। इन लोगों की दाढ़ी मौलवियों की तरह बढ़ी हुई है। साथ ही उनके पास चाकू, बंदूक और रॉकेट लॉन्चर भी दिख रहे हैं।

फ्रेंच पत्रिका के अक्टूबर अंक में प्रकाशित इस कार्टून की मंगलवार (8 अक्टूबर 2022) को कतर ने निंदा की। दुनियाभर के मुस्लिम इसका विरोध कर रहे हैं। इसे नस्लवादी, इस्लामोफोबिया और अपमानजनक बताया है। कतर ने प्रकाशकों की नैतिकता पर भी सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर भी कार्टून का विरोध हो रहा है।

कतर के रक्षा विभाग के पूर्व प्रवक्ता नवाफ एल एम थामी ने भी ट्वीट कर इस कार्टून को नस्लवादी और घृणा से भरा बताया है। उन्होंने दो कार्टून ट्वीट किए हैं। एक le canard enchainé में प्रकाशित 2022 का कार्टून है और दूसरा 1940 का। इसके जरिए उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि यूरोपीय मुल्कों ने अपने चरम राष्ट्रवाद और औपनिवेशिक ग​लतियों से कुछ नहीं सीखा है।

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इस्लामी कट्टरपंथ पर फ्रांस की पत्रिका ने इस तरह व्यंग्य किया है। फ्रेंच पत्रिका शार्ली हेब्दो (Charlie Hebdo) को पैंगबर मोहम्मद का कार्टून छापने की वजह से आतंकी हमले का शिकार होना पड़ा था। 7 जनवरी 2015 को उसके दफ्तर पर हुए हमले में 12 लोगों की मौत हो गई थी। पत्रिका ने पैगंबर के कार्टून छापने को ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ बताया था।

गौरतलब है कि फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी मिलने के बाद से ही कतर अपने खराब प्रबंधन, मानवाधिकार इत्यादि के लिए चर्चा में रहा है। अभी हाल ही में फीफा के पूर्व अध्यक्ष सेप ब्लाटर ने कहा था कि उन्होंने कतर को फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी देकर बड़ी भूल की थी। उन्होंने कहा था कि यह एक बुरा विकल्प था और उस समय फीफा प्रेसिडेंट रहने के कारण वे इसके जिम्मेदार हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया