लाहौर की एक विशेष अदालत ने 30 जनवरी 2024 को साइफर केस में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है। इस मामले में इमरान खान के सहयोगी एवं पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी 10 साल की जेल की सजा मिली है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरे में डाला।
पाकिस्तान की मीडिया संस्थान एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, साइफर मामले की सुनवाई के दौरान विशेष अदालत के जज अबुल हसनात जुल्करनैन ने धारा 342 के तहत दोनों आरोपितों के बयान दर्ज किए। इसके बाद उनकी सजा का ऐलान कर दिया। जज ने कहा कि इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
If anyone wants to understand how sham this trial was, this tweet here is enough. Absolutely disgusting and shameful mockery of law.#نہ_مایوس_ہوں_نہ_مشتعل #ووٹ_کرے_گا_میرا_فیصلہ https://t.co/0dDVkWA2eW
— PTI (@PTIofficial) January 30, 2024
क्या है साइफर मामला?
इमरान खान ने सत्ता से हटने के बाद एक रैली की थी, जिसमें उन्होंने भीड़ के सामने एक पत्र को लहराते हुए दावा किया था कि विदेशी ताकतों ने उन्हें सत्ता से हटाने के लिए साजिश रची थी। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने साजिश के तहत पीटीआई सरकार को उखाड़ फेंका है। इसे साइफर मामला कहते हैं। मामला पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा और डिप्लोमेटिक डॉक्यूमेंट से जुड़ा है।
पाकिस्तान में चल रही चुनावी तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बना दिया था। साइफर का मतलब होता है सीक्रेट कीवर्ड में लिखा गया कोई संदेश। डिप्लोमेटिक मामलों से संबधित कम्युनिकेशन के लिए इसका इस्तेमाल होता है, ताकि ये लीक न हो। वहीं, इमरान खान ने दावा किया था कि उन्होंने केबल के हिस्से को लोगों के सामने दिखाया था।
इस मामले में पिछले साल 15 अगस्त को पहली एफआईआर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत दर्ज की गई थी। ये रिपोर्ट गृह सचिव की शिकायत के आधार दर्ज की दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। कहा गया है कि इमरान खान ने राजनीतिक फायदे के लिए झूठे गुप्त संदेश जारी किए और कई गुप्त बातों को सार्वजनिक किया
वहीं, पूर्व प्रमुख सचिव आजम खान और पूर्व योजना मंत्री असद उमर के नामों का भी जिक्र किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों को लगा कि आजम खान और असद उमर भी गोपनीय दस्तावेजों के दुरुपयोग में शामिल थे तो इन दोनों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। यह विवाद तब सामने आया था जब इमरान ने एक अमेरिकी राजनयिक पर पाकिस्तानी राजनयिक को धमकी देने का आरोप लगाया था, जिसकी सूचना एक साइफर के जरिए दी गई थी।
पीटीआई ने कार्यकर्ताओं से की शांति की अपील
इस बीच, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के सेक्रेटरी जनरल उमर अयूब खान ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है। इसके साथ ही उन्होंने पीटीआई के कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने की अपील भी की है। उमर अयूब कहा कि पीटीआई के सभी सदस्य और कार्यकर्ता 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव पर ध्यान दें। उन्होंने पीटीआई के उम्मीदवारों के लिए वोट की अपील की।
IMPORTANT!! ATTENTION!!
— Omar Ayub Khan (@OmarAyubKhan) January 30, 2024
Pakistan Tehreek-e-Insaf has always espoused the principle of 'Rule of Law'. The current kangroo court ruling will not deter us from foregoing this principle come what may.
PTI workers should remain calm & not indulge in any activity that undermines our…
जनता की सहानुभूति मिलेगी या ये आखिरी उम्मीद भी टूटेगी?
इस सजा के पाकिस्तान की राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं। इमरान खान अभी भी पाकिस्तान की एक बड़ी राजनीतिक ताकत हैं। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) अभी भी पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक दलों में से एक है। इस सजा से पीटीआई के समर्थकों में आक्रोश बढ़ सकता है। यह आक्रोश पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है।
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस सजा से संसदीय चुनाव में पीटीआई को जनता की सहानुभूति मिल सकती है। इमरान खान अभी भी पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। यह आक्रोश संसदीय चुनाव में पीटीआई के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालाँकि पीटीआई ने कहा है कि इमरान खान इस सजा के खिलाफ इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपील करेंगे। इमरान खान अभी जेल में हैं।