भारत को उकसाने और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए पाकिस्तान ने एकबार फिर भारत की सीमा को अपने नक़्शे में दिखाया है लेकिन इस बार पाकिस्तान ने सिर्फ जम्मू-कश्मीर ही नहीं बल्कि गुजरात के एक हिस्से पर भी अपना अधिकार जताया है। नेपाल द्वारा भारतीय क्षेत्र को अपने राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के कारनामे के कुछ ही हफ्तों बाद पाकिस्तान ने ये कारनामा किया है।
Prime Minister @ImranKhanPTI unveiling Political Map of #Pakistan https://t.co/P5aCgqycCn
— Radio Pakistan (@RadioPakistan) August 4, 2020
पाकिस्तान सरकार ने अपने राजनीतिक मानचित्र को अपडेट करते हुए केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को अपनी सीमाओं में शामिल किया। इसके साथ ही, पाकिस्तान ने अपने नए नक्शे में गुजरात के जूनागढ़ और सर क्रीक को पाकिस्तानी इलाकों के रूप में दिखाया है।
पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक्शा:
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कैबिनेट की बैठक के बाद अपने देश का नया पॉलिटिकल मैप जारी किया है। इस मैप में सियाचिन को पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया है। पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने इस जगह पर अवैध तरीके से निर्माण कर रखा है।
सर क्रीक को भी विवादित बताते हुए पाकिस्तान ने इस इलाके को भी अपने नक्शे में शामिल कर लिया है। इस नक़्शे को ऐतिहासिक बताते हुए इमरान खान ने कहा कि ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है कि कश्मीर सहित पूरे जम्मू कश्मीर क्षेत्र को ही पाकिस्तान की सीमा के भीतर बताया गया है। इमरान खान ने कहा कि यह नया आधिकारिक नक्शा देश भर में पाठ्यक्रम में इस्तेमाल किया जाएगा।
इमरान खान ने कहा, “आज एक ऐतिहासिक दिन है, हमने पाकिस्तान का एक नया राजनीतिक मानचित्र लॉन्च किया है, जो पूरे देश के साथ-साथ कश्मीर के लोगों की उम्मीदों के अनुसार है। यह नक्शा पिछले साल 5 अगस्त को भारत सरकार के अवैध कृत्य का भी विरोध करता है।”
गौरतलब है कि ठीक एक साल पहले 5 अगस्त के दिन भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सदियों से चले आ रहे अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था।
इमरान खान ने कहा कि कश्मीर विवाद का समाधान केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों में निहित है और पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के लिए प्रयास करना जारी रखेगा। इमरान खान ने कहा- “हमारा मानना है कि कश्मीर विवाद केवल राजनीतिक माध्यम से हल किया जा सकता है, सैन्य माध्यम से नहीं। हम यूएन को याद दिलाते रहेंगे कि उन्होंने हमसे एक वादा किया था।”