सुरक्षा परिषद में भारत का न होना हमें मंजूर नहीं, UN में बदलाव वक़्त की माँग: जर्मनी

जर्मन राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने यूएन में भारत की मजबूत उपस्थिति की वकालत की

भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर लिंडनर ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में शामिल किए जाने की जोरदार वकालत की है। भारत और जर्मनी कई वैश्विक मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं। वाल्टर ने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों को देखे हुए ये दोनों ही देश यूएनएससी में शामिल किए जाने के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार हैं। पिछले ही महीने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भारत दौरे पर आई थीं। उस दौरान दोनों देशों के बीच 20 से भी अधिक करार (MOU) पर तेज़ी से आगे बढ़ने का फ़ैसला लिया गया था। दोनों देश स्मार्ट सिटी, ग्रीन मोबिलिटी और क्लाइमेट चेंज पर साथ काम कर रहे हैं।

वहीं जम्मू कश्मीर की ताज़ा परिस्थितियों पर अपनी राय रखते हुए जर्मनी के एन्वॉय ने कहा कि वहाँ इंटरनेट पर लगाए गए प्रतिबन्ध स्थायी नहीं हैं और जर्मनी बाकी देशों की तरह चाहता है कि ये सभी प्रतिबन्ध जल्द से जल्द हटाए जाएँ। लिंडनर ने कहा कि अगर यूएन में जल्द ही बदलाव नहीं किया जाता है तो लोग उस पर भरोसा करना छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही विश्व की सबसे बड़ी संस्था में रिफॉर्म नहीं किया जाता है तो लोग ये समझेंगे कि ये वास्तविकता से काफ़ी दूर हैं।

उन्होंने आश्चर्य जताया कि 140 करोड़ की जनसँख्या वाला भारत यूएनएससी का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये अस्वीकार्य है। लिंडनर ने कहा कि भारत, ब्राज़ील, जापान और जर्मनी सुरक्षा परिषद की सदस्यता को लेकर एक-दूसरे का समर्थन करते आए हैं। उन्होंने जोड़ा कि भारत को इस संस्था में ज़रूर होना चाहिए। उन्होंने माना कि यूएन कई मुद्दों पर विफल भी रहा है लेकिन यही एक वैश्विक संस्था है, जिसने दुनिया को बाँधे रखा है। उन्होंने कहा कि यूएन में रिफॉर्म का अर्थ होगा इसे और ज्यादा विश्वसनीय और स्वीकार्य बनाना।

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जर्मन राजदूत ने कहा कि आज कई मुद्दों पर भारत और जर्मनी समान राय रखते हैं। दिल्ली में प्रदूषण के स्तर के बारे में लिंडनर ने बताया कि क्लाइमेट चेंज और ग्रीन मोबिलिटी के मामले में जर्मनी और भारत एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली एयरपोर्ट के पास स्थित मेट्रो स्टेशन में जर्मनी सोलर पैनल लगवा रहा है। लिंडनर ने जम्मू कश्मीर को भारत का घरेलू मुद्दा बताया लेकिन साथ ही कहा कि पूरे यूरोप का यही रुख है कि प्रतिबन्ध जल्द से जल्द हटाए जाएँ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया