पिछले कुछ समय में चीन ने भारत के खिलाफ़ षड्यंत्र रचने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा है। सबसे ताज़ा घटना में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। चीन के समाचार समूह ग्लोबल टाइम्स ने पाकिस्तान के राजदूत मोईन उल हक़ का एक साक्षात्कार प्रकाशित किया है। इस साक्षात्कार में पाकिस्तानी दूत ने जम्मू कश्मीर के हालात बताने का प्रयास किया है। लेकिन दूसरी तरफ ग्लोबल टाइम्स ने इस मुद्दे पर भारत का पक्ष प्रकाशित नहीं किया है।
ग्लोबल टाइम को दिए साक्षात्कार में पाकिस्तान राजदूत मोईन उल हक़ ने जम्मू कश्मीर के तमाम पहलुओं पर अपना पक्ष रखा है। मोईन ने कहा, “सिर्फ इस साल के अंदर लगभग 200 निर्दोष कश्मीरियों की हत्या हुई है। 50 से अधिक दुष्कर्म और शोषण के मामले सामने आए हैं। तकरीबन 1000 घरों को तबाह कर दिया गया है। लगभग 2200 आम नागरिकों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
जम्मू कश्मीर में स्थानीय नागरिकों और सेना के बीच होने वाले टकराव पर संयुक्त राष्ट्र ने जून में एक रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट में लगभग 15 बच्चों की मृत्यु की जानकारी दी हुई थी जिनकी उम्र 1 साल से लेकर 17 साल तक थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यह जानें केंद्रीय सुरक्षा बल, भारतीय सेना (राष्ट्रीय राइफल) और जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान के दौरान हुई हैं।
इसके अलावा 68 ऐसी घटनाएँ भी सामने आई हैं जिसमें कम उम्र के बच्चों की गिरफ्तारी हुई है। साथ ही सुरक्षाबलों पर आरोप है कि वह घाटी के आम लोगों पर पैलेट गन का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा चीनी राजदूत ने कहा, “भारत के फैसलों की वजह से जम्मू कश्मीर की शांति व्यवस्था और सुरक्षा का बुरी तरह नुक्सान हुआ है।”
अंत में मोईन ने कहा पाकिस्तान यह चाहता है कि इस मुद्दे के संबंध में वैश्विक स्तर पर दखलंदाज़ी हो। जिससे जम्मू कश्मीर में परेशानियों का सामना कर रहे आम लोगों की ज़िंदगी बेहतर हो पाए। हम इसकी उम्मीद करते हैं कि दुनिया के देश इस मुद्दे पर एक साथ आए आएँ जिससे भारत के ग़ैरक़ानूनी फ़ैसलों पर लगाम लगे।
लेकिन यह जम्मू कश्मीर मुद्दे का केवल एक पक्ष था जो चीन के समाचार समूह ग्लोबल टाइम्स ने प्रकाशित किया। ग्लोबल टाइम्स ने इस मुद्दे के हिस्से का ज़िक्र नहीं किया वह था भारत का पक्ष। जम्मू कश्मीर के हालातों पर भारत ने भी जानकारी दी थी लेकिन चीन के ग्लोबल टाइम्स ने उसे प्रकाशित नहीं किया है। भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद वहाँ के हालातों का विस्तृत वर्णन किया है।
The Global Times @globaltimesnews declined to carry the Indian Embassy’s response to this interview. You can read our response here: pic.twitter.com/YUFPkTLmVW
— India in China (@EOIBeijing) August 13, 2020
भारत ने अपने पक्ष की शुरुआत में लिखा है कि केंद्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं। उससे पाकिस्तान जैसे किसी भी देश का कोई लेना देना ही नहीं है। मोईन उल हक़ ने जम्मू कश्मीर के बारे में बहुत सी बातें बताई। लेकिन इतने दिनों में वहाँ जितना कुछ अच्छा हुआ उसके बारे में कुछ नहीं कहा। उन्हें मालूम होना चाहिए कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहाँ के स्थानीय लोगों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित हुए हैं।
साथ ही वंचित वर्ग से आने वाले बच्चे और महिलाओं के अधिकारों पर भी खूब काम हुआ है। 24 अक्टूबर 2019 को वहाँ के खंड विकास चुनाव हुए थे। जिसमें लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने की पूरी आज़ादी थी। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर भी तैयार हो रहे हैं। पिछले एक साल में वहाँ लगभग 50 से अधिक शिक्षण संस्थान शुरू किए गए हैं। लगभग 5 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिली है और 10 हज़ार नई नौकरियों की शुरुआत होगी। इसके अलावा लगभग 3 लाख घरों में बिजली बाँटी गई।
अंत में भारत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत की कोशिश हमेशा से यही रही है कि घाटी में शांति व्यवस्था बनी रहे। लेकिन सीमा पार से होने वाली आतंकवाद की घटनाएँ वहाँ के हालात बिगाड़ने की हर संभव कोशिश करती हैं। पाकिस्तानी सीमा की तरफ से साल 2020 के जुलाई महीने तक सीज़फ़ायर की 3 हज़ार घटनाएँ हुई हैं। इतना ही नहीं 450 आतंकवादी गतिविधियों की ख़बरें भी सामने आई हैं। इसके बाद अगर पाकिस्तान के दूत का दावा कुछ और कहता हो तो यह खुद में हैरानी की बात है।