Sunday, December 22, 2024
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‘मानवीय सहायता’ पर UN में वोटिंग, भारत ने किया किनारा: कहा – आतंकी उठाते हैं गलत फायदा

रिषद की अध्यक्ष और यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने प्रस्ताव पर भारत की ओर से कहा कि इस तरह की मानवीय सहायता का फायदा आतंकवादी संगठन पहले भी उठाते रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और आयरलैंड की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव से भारत ने दूरी बना ली है। इस प्रस्ताव में मानवीय सहायता को संयुक्त राष्ट्र के सभी तरह के प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखने की बात कही गई है। भारत ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि मानवीय मदद का आतंकी संगठन गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षा परिषद में अमेरिका और आयरलैंड की ओर से लाए गए प्रस्ताव में उन संगठनों को मानवीय सहायता दिए जाने की बात की गई है जिनपर यूएन ने भी प्रतिबंध लगाए हैं। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित दुनिया भर में प्रतिबंधित आतंकी संस्थाओं को मानवीय सहायता की अनुमति मिल जाएगी।

भारत ने इस प्रस्ताव पर यह कहते हुए ऐतराज जताया कि भारत के पड़ोसी देश के अलावा ब्लैकलिस्ट किए गए आतंकवादी संगठन इस तरह की छूट का फायदा फंडिंग और सदस्यों की भर्ती के लिए उठा सकते हैं। भारत को छोड़कर सभी UNSC सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। 15 में से 14 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि भारत अकेला देश था जिसने प्रस्ताव का विरोध करते हुए वोटिंग से दूरी बना ली। पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता फिलहाल भारत के पास है।

प्रस्ताव पर अमेरिका ने जोर देकर कहा कि इस प्रस्ताव को अपनाए जाने के बाद अनगिनत जिंदगियों को बचाने में मदद मिलेगी। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी मानवीय सहायता के समय पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए फंड और अन्य वित्तीय संपत्तियों के अलावा वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान आवश्यक है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगाए गए प्रतिबंध समिति और फ्रीज संपत्ति का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

परिषद की अध्यक्ष और यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने प्रस्ताव पर भारत की ओर से कहा कि इस तरह की मानवीय सहायता का फायदा आतंकवादी संगठन पहले भी उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरणों के वजह से ही प्रस्ताव को लेकर हम चिंतित हैं, कंबोज ने पाकिस्तान और उसकी सरजमीं पर मौजूद आतंकी संगठनों का भी परोक्ष रूप से जिक्र किया।

रुचिरा कंबोज ने जमात-उद-दावा का उदाहरण देते हुए कहा, “हमारे पड़ोस में आतंकवादी समूहों के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें इस परिषद द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादी समूह भी शामिल हैं, जिन्होंने इन प्रतिबंधों से बचने के लिए खुद को मानवीय संगठनों और नागरिक समाज समूहों के तौर पर दिखा रहे हैं। जमात-उद-दावा खुद को मानवीय सहायता वाला संगठन कहता है, लेकिन यह लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक सहायक संगठन के तौर पर काम करता है और फंड जुटाने में मदद करता है।”

रुचिरा कंबोज ने आगे कहा, जमात और लश्कर की ओर से संचालित संस्था ‘फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन’ और जैश-ए-मोहम्मद की ओर से समर्थित संगठन अल-रहमत-ट्रस्ट भी पाकिस्तान में स्थित है। ये आतंकवादी संगठन धन जुटाने और लड़ाकों की भर्ती के लिए मानवीय सहायता की छत्रछाया का उपयोग करते हैं।” रुचिरा कंबोज ने कहा, “भारत 1267 (प्रतिबंध समिति) के तहत प्रतिबंधित ऐसे संगठनों को मानवीय सहायता प्रदान करते समय जरूरी सावधानी बरतने की अपील करता है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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