Friday, November 15, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयपाक ने फिर खाई मात: भारत के दबाव में फ्रांस ने POK के 'राष्ट्रपति'...

पाक ने फिर खाई मात: भारत के दबाव में फ्रांस ने POK के ‘राष्ट्रपति’ को नेशनल असेंबली में बोलने से रोका

भारत ने फ्रांस के निचले सदन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति मसूद खान के कार्यक्रम को रद्द करवा दिया है। भारतीय मिशन ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक आपत्ति पत्र लिखा था जिसके बाद पीओके के राष्ट्रपति को कार्यकम में शामिल होने से रोक दिया गया।

भारत को फ्रांस में बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने फ्रांस के निचले सदन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति मसूद खान के कार्यक्रम को रद्द करवा दिया है। भारतीय मिशन ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक आपत्ति पत्र लिखा था जिसके बाद पीओके के राष्ट्रपति को कार्यकम में शामिल होने से रोक दिया गया।

दरअसल, फ्रांस की राजधानी पेरिस में पाकिस्तानी मिशन 24 सितंबर को नेशनल असेंबली में पीओके के राष्ट्रपति मसूद ख़ान की बैठक के लिए ज़ोर दे रहा था। इसके बारे में जैसे ही भारत को पता चला उसने कूटनीतिक क़दम उठाया। इस क़दम के तहत भारतीय मिशन ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक डेमार्श (आपत्ति पत्र) भेजते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा।

भारतीय समुदाय ने भी नेशनल असेंबली के स्पीकर और सांसदों को इस मामले के संबंध में मेल भेजे। ख़ान, फ्रांस के निचले सदन मे आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने वाले थे। जब उन्हें फ्रांस सरकार ने कार्यक्रम में जाने की अनुमति नहीं दी गई तो पाकिस्तान के राजदूत मोइन-उल-हक ने इसमें हिस्सा लिया और उनकी तरफ़ से संबोधित किया। कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप रहा और इसमें स्थानीय हस्तियों ने भी शिरक़त नहीं की।

इस पूरे घटनाक्रम के चश्मदीदों के अनुसार, फ्रांस के सांसदों के नहीं पहुँचने की आशंका की वजह से पाकिस्तानी राजदूत को मसूद ख़ान के सम्मान में आयोजित डिनर को भी रद्द करना पड़ा। ये डिनर नेशनल असेंबली के कार्यक्रम की पूर्वसंध्या यानी 23 सितंबर को आयोजित होना था। जानकारी के अनुसार, फ्रांस सरकार ने फ्रांस-पाकिस्तान फ्रेंडशिप ग्रुप को पहले ही स्पष्ट संदेश दे दिया था कि मसूद ख़ान और उनके कार्यक्रम से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखनी है। इस तरह, भारत अपने मंसूबे में क़ामयाब हो गया और फ्रांस में भी पाकिस्तान की चालबाज़ियों पर पानी फिर गया।

ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान की उम्मीद के विपरीत कार्यक्रम ने किसी भी स्थानीय जनता का ध्यान अपनी ओर नहीं आकर्षित किया। कार्यक्रम में शिरक़त करने वाले अधिकतर लोग पाकिस्तानी कर्मचारी ही थे। बता दें कि फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। उसने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा की जाने आतंकी गतिविधियों के ख़िलाफ़ भारत का साथ दिया था। इसके अलावा, फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति में वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने पर भी भारत का साथ दिया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -