वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी विवाद को लेकर भारत और चीन की सेना कड़ाके की ठंड में अपने-अपने देश की रक्षा कर रहे हैं। मई माह में हुए दोनों देशों के बीच तनातनी के बाद चीन ने कड़ाके की ठंड में भी एलएसी सीमा पर भारी मात्रा में सैनिकों की तैनाती कर रखा है। लेकिन इस कड़ाके की ठंड के आगे चीनी सेना ने घुटने टेक दिए हैं। बढ़ती सर्दी को देखते हुए चीन अपने सैनिकों की तैनाती में बदलाव कर रहा है।
Winters force Chinese to rotate troops on the front line daily, Indians staying longer
— ANI Digital (@ani_digital) December 1, 2020
Read @ANI Story | https://t.co/oqx3r6Zx1L pic.twitter.com/AhE6RsmtCM
पूर्वी लद्दाख सेक्टर में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को रोटेशन पॉलिसी अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। चीनी सैनिक लद्दाख की ठंड के आदी नहीं हैं इसलिए फॉरवर्ड पोजिशन पर चीन अपने सैनिकों को रोज रोटेट कर रहा है। वहीं, भारतीय सैनिक उसी जगह पर लंबे ठहराव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
न्यूज एजेंसी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर फॉरवर्ड लोकेशन पर भारतीय सैनिक अपनी पोजिशन पर चीनी सेना के मुकाबले ज्यादा समय तैनात रहेगी।
सर्दियों का चीनी सेना पर ज्यादा असर
सूत्रों के मुताबिक, मौसम से जूझने के मामले में भारत ने चीन के मुकाबले ज्यादा तैयारियाँ कर रखी हैं। भारी संख्या में भारतीय सैनिक पहले से ही सियाचिन ग्लेशियर और ऊँचाई वाले इलाकों समेत लद्दाख सेक्टर में तैनात हैं। सर्दियों का असर ज्यादातर उन अहम ऊँचाई वाले इलाकों में होगा, जहाँ चीन ने भारतीय पोजिशन के पास अपने सैनिक तैनात किए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय सैनिक वहाँ मौजूद हैं, जबकि चीन अपने सैनिकों को रोज रोटेट कर रहा है।
भारत-चीन के बीच अप्रैल-मई से विवाद शुरू हुआ
चीन ने अप्रैल-मई में सीमा पर आक्रामक रवैया अपनाया था। उसने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सीमा के पास करीब 60 हजार सैनिकों की तैनाती भी कर दी थी। यहाँ चीन ने एयर डिफेंस सिस्टम, बख्तरबंद गाड़ियाँ, बड़े हथियार और लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें भी तैनात कर रखी थीं। चीन के घुसपैठ की हर हरकत को नाकाम करने के लिए भारत ने भी जवाबी तैनाती में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हालाँकि, इसके बाद दोनों देशों के बीच 8 बार कॉर्प्स कमांडर्स लेवल की बातचीत हो चुकी है।
15 जून को हुई थी खूनी झड़प
भारत और चीन के बीच 15 जून को हुई खूनी झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। चीन को भी काफी नुकसान हुआ था, लेकिन उसने कभी यह कबूल नहीं किया। उसके बाद से ही भारत यह माँग कर रहा है कि पैंगॉन्ग लेक के दक्षिणी छोर से डिसइंगजमेंट से पहले चीन फिंगर एरिया जैसी पोजिशन से भी अपनी सेना को पीछे हटाए।
चीन ने आक्रामक रुख दिखाते हुए पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सीमा की ओर करीब 60 हजार सैनिकों की तैनाती की थी। टैंक और भारी हथियारों से लैस इन सैनिकों के सहारे चीन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर यहाँ कब्जा जमाना चाहता था। भारत ने भी इसके जवाब में सैन्य तैनाती बढ़ा दी थी।
फिलहाल, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हल करने के लिए वार्ताओं का दौर चल रहा है। अभी तक दोनों पक्षों के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ताओं के आठ दौर पूरे हो चुके हैं। दोनों देशों के बीच वार्ताएँ सैन्य और राजनयिक माध्यमों से हो रही हैं। हालाँकि, अभी इन वार्ताओं का कुछ खास सकारात्मक परिणाम नहीं दिखा है।