भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार के लिए दबाव बनाए रखना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान यूएनएससी की आधारशिला 1940 के दशक में रखी गई थी, जब सिर्फ 50 देश इसके सदस्य थे।
आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता लगभग 200 हो गई है। इसलिए इसमें बदलाव समय की माँग है। अगर इसे और अनदेखा किया गया तो संयुक्त राष्ट्र की भी विश्वसनीयता धीरे-धीरे कम होती चली जाएगी। उन्होंने कहा कि UN सदस्यों को कबूल करना होगा कि बदलाव का वक्त आ गया है।
दबाव बनाना जारी रखेगा भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश और पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में अगर भारत को ही यूएनएससी की स्थाई सदस्यता नहीं दी जाएगी तो संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाएँगे। इसलिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए दबाव बनाना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इतिहास भारत के पक्ष में है और यकीनन यूएनएससी में सुधार होगा।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी उठी यूएनएससी में विस्तार की माँग
भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि यूएनएससी में परमानेंट सीट पाने वाले अपनी सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में नई सीटों को लगाने की भी जरूरत है। आप देखिए कि अफ्रीका महाद्वीप से एक भी देश यूएन में नहीं है। लैटिन अमेरिका से कोई देश नहीं है। दुनिया में जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़ा देश भारत यूएनएससी में नहीं है।
उन्होंने सवाल किया, “आप हमें कितने समय के लिए बाहर रख सकते हैं? अगर आप बाहर रखेंगे तो यूएन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगेगा, क्योंकि यूएन के 5 देश ही निर्णय लेंगे तो लोग मानना बंद कर देंगे। लोकतांत्रिक तरीके से भी ये सही नहीं है। ब्रिक्स में भी पहली बार ये कहा गया है कि यूएनएससी में विस्तार की जरूरत है।”
यूएनएससी में सार्थक भूमिका निभाना चाहता है भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत यूएनएससी में सुधार के लिए एक ‘वस्तुनिष्ठ और उदार’ दृष्टिकोण रखता है। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यूएनएससी में सुधार सभी सदस्य देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाए।
चूँकि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए प्रासंगिक और सार्थक भूमिका निभाना चाहता है। ऐसे में भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यूएनएसी एक प्रभावी और समकालीन संस्थान बने, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा को बढ़ावा दे सके।
#WATCH | Delhi: EAM Dr S Jaishankar says, "…The present United Nations architecture was formed in the 1940s. There were 50 member countries of the UN back then, and now there are more than 200 countries. So there will be changes…The world's largest country in terms of… pic.twitter.com/DpQxhD7kOO
— ANI (@ANI) August 31, 2023
यूएन के शांति मिशनों में भारत की सक्रिय भागीदारी
जयशंकर ने कहा कि भारत यूएन के शांति मिशनों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने यूएन के शांति मिशनों में 2,50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। यही नहीं, भारत यूएन के आर्थिक और सामाजिक एजेंडे को भी सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है और यूएन के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत के दावे के पक्ष में महत्वपूर्ण देश
भारत के विदेश मंत्री के इस बयान का स्वागत किया गया है। दुनिया के कई देश कह चुके हैं कि भारत यूएनएससी में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। साथ ही भारत के दबाव के कारण सुधार की दिशा में कुछ प्रगति हुई है। फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, रूस समेत दुनिया के अधिकतर देश भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन कर चुके हैं।
भारत के साथ जर्मनी, जापान और ब्राजील भी यूएनएसी में स्थाई सदस्यता के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। ये तीन देश यूएनएसी में सुधार के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत को उम्मीद है कि इस समूह के साथ मिलकर यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
हालाँकि, भारत को यूएन सुधारों के लिए समर्थन हासिल करने के प्रयासों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रमुख चुनौती यह है कि चीन और अमेरिका जैसे देशों के बीच मतभेद है। इन दोनों देशों के बीच मतभेद संयुक्त राष्ट्र सुधारों को आगे बढ़ाने में बाधा बन रहे हैं।