यूनाइटेड अरब अमीरात में गोरखपुर के एक इंजीनियर अखिलेश पांडे को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। वहाँ की अदालत ने उन्हें 15 साल की सजा सुनाई है। साथ ही भारतीय मुद्रा के मुताबिक उन पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने जुर्माना लगाते हुए निर्देश दिए हैं कि यदि यह राशि नहीं अदा की जाती तो अखिलेश को आजीवन कारावास की सजा काटनी होगी।
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि आरोपित के ख़िलाफ़ कोई पुख्ता सबूत वहाँ के प्रशासन के हाथ नहीं लगे, मगर फिर भी उसे दोषी करार देकर सजा दे दी गई। अब उनकी पत्नी की अपील पर भारत सरकार ने यूएई सरकार से दया दिखाकर इंजीनियर को भारत भेजने की अपील की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अखिलेश पांडे शाहपुर के बशारतपुर के रहने वाले हैं। वह पिछले 10 सालों से दुबई की यूनियन सीमेंट कम्पनी रास अल खेमा (यूएई) में सीनियर सेफ्टी इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उनके नीचे काम करने वाले एक सूडानी और एक पाकिस्तानी के साथ ही दो भारतीय मजदूरों ने उन पर कुछ दिन पहले ईशनिंदा का आरोप लगाया था और पुलिस में उनकी शिकायत दर्ज कराई थी।
पूरा मामला पिछले साल शुरू हुआ था। अक्टूबर 2019 में उन्हें वहाँ की पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस की पड़ताल में वीडियो, ऑडियो रिकार्डिंग, क्लिप सहित कोई भी सबूत नहीं मिला। पर यूएई के कानून के हिसाब से अगर तीन या तीन से अधिक लोग कुरान की कसम खाकर गवाही देते हैं तो आरोप सिद्ध माना जा सकता है। इसी आधार पर अबूधाबी की कोर्ट ने अखिलेश को 22 फरवरी 2020 को सजा सुनाई।
इसके बाद अखिलेश पांडे की पत्नी को उनके ससुराल वालों ने वापस घर बुला लिया। उससे पहले वह अपने पति अखिलेश और अपनी बेटी के साथ यूएई में ही रहती थीं। अंकिता पांडे का कहना है कि उनके पति बिलकुल बेगुनाह हैं।
उन्होंने भारत लौट कर यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजने के साथ ही गोरखपुर सदर सांसद रवि किशन, बांसगाँव सांसद कमलेश पासवान और देवरिया सांसद रमापति राम त्रिपाठी तथा राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल के जरिए भी विदेश मंत्रालय को पत्र लिखवाया है।
अंकिता ने अपने पत्र में अखिलेश की सजा से माफी दिलाने की अपील की है। इसी पत्र पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की ओर से अखिलेश को वापस देश भेजने की माँग की गई है। इस बात की पुष्टि स्वंय संयुक्त सचिव डॉ टीवी नागेन्द्र प्रसाद ने की है।
अखिलेश की गिरफ्तारी के समय उनकी पत्नी यूएई में ही थीं। वह कहती हैं कि सूडानी नागरिक अब्दुल मनीम एल-जैक, पाकिस्तानी नागरिक राणा मजीद व एक अन्य कर्मचारी ने मेडिकल लीव के लिए झूठे प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए थे। लेकिन वेरिफिकेशन के बाद अखिलेश ने उन्हें गलत पाया और भविष्य में दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी दी।
इसके बाद अखिलेश ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कम्पनी के उच्चाधिकारियों को भी अवगत करवाया। इसके बाद सूडानी नागरिक अब्दुल मनीम सहित अन्य ने इस मामले को बेइज्जती के तौर पर लिया और उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दी।
इस घटना के अगले दिन अब्दुल मनीम, राणा मजीद के साथ दो भारतीय मुस्लिम मोहम्मद हुसैन खान मोहा (राजस्थान )और मोहम्मदुल्लाह शेख (हैदराबाद) अखिलेश की केबिन में घुसे और उनसे झगड़ा करने लगे। फिर थोड़ी देर में चारों उन्हें पकड़कर बाहर लाए और कहने लगे कि अखिलेश ने उनके समुदाय और यूएई के सुल्तान पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
उनकी ही शिकायत पर पुलिस ने अखिलेश को थाने पर बुलाया और गिरफ्तार कर लिया। बाद में गवाहों के आधार पर आरोप पत्र दायर हुआ। इसमें लिखा गया कि अखिलेश ने यूएई के मुस्लिम नागरिकों को भद्दी गालियाँ दी। साथ ही यूएई के सुल्तान को गाली देते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए। इसलिए यह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का मामला बनता है।