कनाडा में रहने वाले भारतीयों के दो दर्जन से अधिक संगठनों ने इंडो-कनाडाई के राष्ट्रीय गठबंधन के तहत सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री बिल ब्लेयर को एक पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने भारत में पारित नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन देने के लिए समुदाय पर समन्वित हमलों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। इस पत्र पर 28 सामुदायिक निकायों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
#Exclusive: A letter written to Canadian Minister for Public Safety by Indian Diaspora alleged that moderate Hindus & Sikhs being targeted by Khalistani separatists across Canada. @AdityaRajKaul speaks to @azadkaushik (President of National Alliance of the Indo-Canadians) pic.twitter.com/XaljK1g1kU
— News18 (@CNNnews18) February 16, 2021
समूह ने कहा, “खालिस्तान बनाने की माँग करने वाले अलगाववादी तत्व कनाडा में किसान कानून विरोधी आंदोलन में शामिल हैं और कनाडा में रहने वाले भारतीयों पर हमला ने अब सांप्रदायिक मोड़ ले लिया है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि यह बहुत ही चिंताजनक है कि कनाडा में आतंकवाद की सबसे बुरी घटना एयर इंडिया-182 ‘कनिष्क’ पर बमबारी के लिए जिम्मेदार समूह भारत में नए लागू किए गए कानूनों का विरोध करने की आड़ में हिंदूफोबिया में लिप्त है।
#Breaking | Indo-Canadians supporting the Indian farm laws allege threat calls.
— TIMES NOW (@TimesNow) February 9, 2021
The Indo-Canadian community has become a target … The enemy is ‘invisible’ at the moment, but a common factor is that Punjabi language is being used: Dr. Azad Kaushik, President, National Alliance. pic.twitter.com/i8TOAgA8ou
इस विमान हादसे की वजह आतंकी हमला था। इसे इतिहास के बड़े विमान हादसों में एक माना जाता है। यह विमान 23 जून, 1985 को बम ब्लास्ट का शिकार हुआ था। खालिस्तानी आंतकवादियों द्वारा किए गए इस हमले में प्लेन में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी।
जल्दी और प्रभावी कार्रवाई की माँग की गई
पत्र में, हस्ताक्षरकर्ताओं ने हिंदू-कनाडाई लोगों को आश्वस्त करने के लिए कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा विभागों से जल्दी और प्रभावी कार्रवाई की माँग की, जो इस हालिया घटना के कारण भविष्य से डरते हैं। उनका कहना है कि वो नहीं चाहते हैं कि कनिष्क त्रासदी को फिर से दोहराया जाए।
बलात्कार और मौत की धमकी
जो लोग कृषि कानूनों के पक्ष में हैं, उन्हें कैलगरी, मेट्रो वैंकूवर, ग्रेटर टोरंटो एरिया और एडमॉन्टन सहित कनाडा के कई हिस्सों में बलात्कार और मौत की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह के हमलों के पीड़ितों ने कई पुलिस शिकायतें दर्ज करवाई हैं।
‘तिरंगा रैली’ के प्रतिभागियों को टारगेट किया गया
10 फरवरी को, इंडो-कनाडाई समुदाय के सदस्यों ने कृषि कानूनों के समर्थन और 26 जनवरी के दंगों में खालिस्तानी तत्वों की भूमिका के खिलाफ मेट्रो वैंकूवर में ‘तिरंगा रैली’ का आयोजन किया। रैली में सर्रे से वैंकूवर तक लगभग 350 कारों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास भवन के सामने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज लहराया।
रैली के कुछ ही घंटों के भीतर प्रतिभागियों को धमकी भरे फोन आने लगे और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी उनके कार्यालयों के बाहर घूमने लगे। हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए, तिरंगा रैली के स्वयंसेवकों में से एक ने कहा कि वह और उसके पति का बिजनेस सर्रे में टारगेट किया गया।
समूह ने 26 जनवरी की हिंसा की निंदा करने के लिए पीएम ट्रूडो से आग्रह किया था
रिपोर्टों के अनुसार इंडो-कैनेडियन संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में कृषि कानूनों के विरोध के दौरान हुई हिंसा की निंदा करने के लिए आग्रह किया था। बता दें कि हाल ही में उन्होंने वाशिंगटन डीसी में हुई हिंसा का विरोध किया था।
ट्रूडो को लिखे पत्र में इंडो-कनाडाई के नेशनल अलायंस के अध्यक्ष आजाद कौशिक ने कहा कि वह पीएम को इंडो-कैनेडियन समुदाय की भावनाओं को प्रतिबिंबित करने के लिए लिख रहे हैं। ट्रूडो के जनवरी में कैपिटल हिल हिंसा को ‘दंगाइयों द्वारा लोकतंत्र पर हमला’ बताया था। इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने कहा है कि ‘भारतीय लोकतंत्र पर इसी तरह का हमला और हिंसा’ हुई है। किसानों की आड़ में चरमपंथी तत्वों द्वारा ऐसी हरकत की गई, लेकिन कनाडा ने इसकी निंदा नहीं की।
ट्रूडो से आह्वान किया गया कि वे इसकी निंदा करें और इसको लेकर बयान जारी करें। आजाद कौशिक ने कहा, “यह किसानों की आड़ में चरमपंथी तत्वों को बड़े पैमाने पर मौन समर्थन में इंडो-कैनेडियन समुदाय और कनाडा में धारणा से बचने में मदद करेगा।”
वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक खुले पत्र में कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रमुख उज्जल दोसांझ ने उनसे नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर होने वाले आयोजनों का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया। विशेष जाँच दल द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के सिटिंग जज द्वारा निगरानी कराने की गुजारिश की।
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