कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव के 3 मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थीं, जिसके बाद उन्हें पद से हाथ भी धोना पड़ा था। मालदीव के बिगड़ते रवैये को देखते हुए भारतीय पर्यटकों ने वहाँ जाना कम कर दिया, जिसके बाद वहाँ का पर्यटन और इस पर आधारित अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। अब मालदीव में ही पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग माँग कर रहे हैं कि भारत के साथ संबंधों को जल्द सुधारा जाए। उनकी जेब पर बिगड़े हुए संबंधों के कारण मार पड़ रही है।
मालदीव के पर्यटन विभाग द्वारा जारी किए गए आँकड़े के अनुसार, 2023 में 17 लाख पर्यटकों ने द्वीपीय राष्ट्र का दौरा किया, जिनमें से 2,09,198 भारतीय थे। इसके बाद रूस (2,09,196) और चीन (1,87,118) का स्थान आता है। इसी तरह 2022 में 2.40 लाख भारतीय और 2021 में 2.11 लाख भारतीय पर्यटन के लिए मालदीव पहुँचे थे। कोरोना महामारी के दौरान मालदीव में पर्यटन खुला हुआ था और 63,000 भारतीय वहाँ पहुँचे थे, जिनमें कई सेलेब्रिटीज थे।
वहीं 2024 में सब कुछ बदल गया है। वहाँ पर्यटकों के आगमन के मामले में भारतीय छठे स्थान पर हैं। जबकि 2020 से पहले सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक ही होते थे। 2 मार्च, 2024 तक के आँकड़ों को देखें तो 27,224 भारतीय पर्यटक इस साल मालदीव पहुँचे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 33% कम है। 2023 में इसी अवधि तक 41,224 भारतीय पर्यटक मालदीव पहुँचे थे। वहाँ की मीडिया भी कह रही है कि गर्मियों में भारतीय पर्यटकों के कारण ही उनका पर्यटन उद्योग चलता है।
Indian tourists are shunning #Maldives and its tourism industry is already feeling the pinch of declined revenue.
— NDTV Profit (@NDTVProfitIndia) March 14, 2024
Read ⬇️https://t.co/WRA8AFm8dD
अनुमानों की मानें तो मालदीव को 2 बिलियन डॉलर (16,581.03 करोड़ रुपए) तक का नुकसान हुआ है। ट्रेवल एजेंसियों और भारतीय पर्यटकों पर आधारित ऑपरेटरों के राजस्व में 80% तक की कमी आई है। मालदीव की मीडिया खुद कह रही है कि अहंकार से हमारा फायदा नहीं होगा, देश की संवेदनशील अर्थव्यवस्था को इससे उल्टा नुकसान ही हो रहा है। आगे इससे बचने की सलाह दी गई है। केरल और मालदीव के बीच सीधी उड़ान फिर से शुरू होने से स्थिति थोड़ी सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है।