इस्लामी आतंकी संगठन हमास की बर्बरता के बाद इजरायल द्वारा फिलिस्तीन के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई जारी है। इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय का एक 13 साल पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुस्लिम छात्रा जुमना इमाद अलबहरी यहूदियों के लिए नफरत प्रदर्शित कर रही है।
दूसरी तरफ, मैसाचुसेट्स के कैंब्रिज स्थित हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों ने नौकरी न मिलने की फिक्र में आनन-फानन में हमास को समर्थन देने से अपने पाँव खींच लिए हैं। ये दोनों ही घटनाएँ उस वक्त बहुत अहमियत रखती हैं, जब अमेरिका खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गया है।
दरअसल, जब हमास के आंतकियों ने इज़रायल पर हमला किया था, तब हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्र समूहों ने फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था। छात्र संगठनों अपने बयान में इज़रायल को दोषी ठहराते हुए उस पर ज़मीन छीनने, हवाई हमले करने और फ़िलिस्तीनियों की हत्याएँ करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने अपने बयान में लिखा था, “फ़िलिस्तीनियों को धीमी और अचानक, दोनों तरह से मौत के हालात में जीने के लिए मजबूर किया गया है।” हालाँकि, विश्वविद्यालय की अध्यक्ष क्लाउडिन गे ने हमास के आतंकी हमले की निंदा की। उन्होंने कहा कि छात्र संगठनों के बयान की भी आलोचना की।
इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि दुनिया भर में हमास के हमले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों के सीईओ, खासकर यहूदियों ने इशारा किया है कि वो हमास का समर्थन करने वालों को नौकरी देने से गुरेज करेंगे। इसके बाद कुछ छात्र संगठनों ने अपने बयान वापस ले लिए।
अब बात कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की मुस्लिम छात्रा जुमना इमाद अलबहरी से शुरू करते हैं। इस छात्रा का 2010 का एक वीडियो अभी वायरल हो रहा है। इसमें ये छात्रा विश्वविद्यालय में यहूदियों के प्रति नफरत जताते हुए लेबनान के शिया इस्लामी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के नेता के लिए अपना समर्थन जता रही है।
Time to resurface this harrowing exchange between David Horowitz and a student at the University of California San Diego in 2010. pic.twitter.com/YPnqKJCzMo
— Kevin McMahon (@Kevin__McMahon) October 10, 2023
इस दौरान जुमना ने विश्वविद्यालयों के मुस्लिम छात्र संघों (MSA) के बारे में अमेरिका के कन्सर्वेटिव लेखक और एक्टिविस्ट डेविड होरोविट्ज़ से उनकी राय पूछी थी। होरोविट्ज ने ‘डेविड होरोविट्ज फ्रीडम सेंटर’ की स्थापना की है। वो फ्रंटपेज मैगज़ीन के संपादक और ‘डिस्कवर द नेटवर्क्स’ के निदेशक भी हैं।
‘डिस्कवर द नेटवर्क्स’ राजनीतिक वामपंथी विचारधारा से जुड़े व्यक्तियों और समूहों पर नज़र रखने का काम करता है। वहीं, MSA की स्थापना जनवरी 1963 में इलिनोइस विश्वविद्यालय, अर्बाना-शैंपेन में ‘उत्तरी अमेरिका में इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए’ की गई थी। साल 2004 में एफबीआई जाँच में एमएसए का मिस्र के इस्लामी आतंकी संगठन ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ से जुड़े होने का खुलासा हुआ था। अमेरिका और कनाडा में 600 MSA हैं और इन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड अपना संगठन माना था।
तो MSA को लेकर सवाल करने वाली मुस्लिम छात्रा जुमना होरोविट्ज़ के साथ बातचीत में आतंकी संगठन हमास की निंदा करने को लेकर टालमटोल कर रही थी। हालाँकि, होरोविट्ज़ अपने सवाल पर दृढ़ रहे, लेकिन जुमना ने हमास की निंदा नहीं की। इस पर होरोविट्ज ने चिंता जाहिर की थी। अंत में जब हॉरोविट्ज़ ने उससे पूछा कि क्या वह हिज़्बुल्लाह के नेता के यहूदियों के प्रति शत्रुतापूर्ण इरादों की निंदा करेगी या वह ऐसे इरादों के ‘पक्ष’ में है। इस पर जुमना ने कहा कि वह ‘इसके लिए’ है।
उधर, हार्वर्ड अंडरग्रेजुएट नेपाली स्टूडेंट एसोसिएशन भी फिलिस्तीन के समर्थन में दिए अपने बयान से पीछे हट गया। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में उसने लिखा, “हमें खेद है कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ ऐतिहासिक अन्याय की तरफ ध्यान खींचने के लिए हालिया बयान पर सह-हस्ताक्षर किए। हमारी सच्ची शांति की इच्छा को इज़राइल पर हुए हिंसक हमले के लिए एक मौन समर्थन के तौर पर लिया गया है।”
ऐसे ही एक अन्य संगठन हार्वर्ड घुंघरू ने भी बयान से समर्थन वापस ले लिया। एक इंस्टाग्राम पोस्ट में समूह ने लिखा, “हम, हार्वर्ड अंडरग्रेजुएट घुंघरू, हार्वर्ड फिलिस्तीनी समिति के दिए गए बयान पर सह-हस्ताक्षर करने के लिए माफी माँगना चाहते हैं और हमने औपचारिक तौर से अपने हस्ताक्षर वापस ले लिए हैं।
हार्वर्ड की अध्यक्ष क्लॉडाइन गे ने छात्र समूहों के जारी बयान की निंदा की। उन्होंने कहा, “जैसा कि हाल के दिनों की घटनाओं की गूंज अभी भी सुनाई पड़ रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैं हमास आतंकियों के जुल्मों की निंदा करती हूँ। इस तरह की अमानवीयता घिनौनी है, भले ही इस क्षेत्र में लंबे वक्त से चले आ रहे संघर्षों की उत्पत्ति के बारे में किसी का निजी नजरिया कुछ भी हो।”
गौरतलब है कि बयान वापस लेने का यह सिलसिला कॉर्पोरेट्स द्वारा हमास समर्थक छात्रों को नौकरी नहीं देने के फैसले के बाद शुरू हुआ। पर्सिंग स्क्वॉयर के सीईओ बिल एकमैन ने बुधवार (10 अक्टूबर 2023) को एक्स पर लिखा कि उनसे कई सीईओ ने पूछा है कि हार्वर्ड ऐस हर संगठन के उन सदस्यों की लिस्ट जारी करेगा, जिन्होंने हमास के जघन्य कृत्यों के लिए इज़राइल को इकलौता ज़िम्मेदार बताते हुए लेटर जारी किया है। उन्होंने आगे कि यह पक्का करने के लिए था कि इन सीईओ में से कोई भी अनजाने में उनके किसी भी सदस्य को नौकरी पर न रखे।
I have been asked by a number of CEOs if @harvard would release a list of the members of each of the Harvard organizations that have issued the letter assigning sole responsibility for Hamas’ heinous acts to Israel, so as to insure that none of us inadvertently hire any of their… https://t.co/7kzGOAGwp9
— Bill Ackman (@BillAckman) October 10, 2023
उन्होंने आगे कहा, “यदि उनके सदस्य जारी किए गए पत्र का समर्थन करते हैं तो हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए, ताकि उनके विचार सार्वजनिक तौर पर सामने आ सकें। आतंकवादियों के कामों का समर्थन करने वाले बयान जारी करते वक्त किसी को भी कॉर्पोरेट ढाल के पीछे छिपने के काबिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि अब हमें पता चला है कि उन्होंने (हमास ने) कल्पना से परे कामों के साथ-साथ बच्चों के भी सिर काटे हैं।”