देशभर में बीते कुछ सप्ताह से कॉलेजों में हिजाब (Hijab) पहनने की इजाजत के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथी लगातार इसे बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन, मुस्लिम महिलाओं की असली समस्या ‘खतना’ (FGM) पर कोई बात नहीं करता है। ये वो बर्बर इस्लामिक कुप्रथा है, जिससे मुस्लिम लड़की को गुजरना होता है। हर साल दुनियाभर में करीब 40 लाख से ज़्यादा मुस्लिम लड़कियों का ‘खतना’ किया जाता है।
पिछले कुछ सप्ताह में महिला फीमेल जेनाइट म्यूटिलेशन (FGM) सामान्य अर्थों में कहें तो ‘खतना’ की अपनी भयावह कहानी को बताने के लिए महिलाएँ आगे आई हैं। FGM प्रथा के नाम पर निर्दोष मुस्लिम महिलाओं के साथ किए जाने वाले अत्याचार के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने वाले GIRDLE संगठन ने सोमालिया के जौहर की रहने वाली मुस्लिम महिला हिबाक की कहानी साझा की है।
हिबाक ने बताया है कि जब वो बहुत की कम उम्र की थी तभी उसका खतना कर दिया गया था। इसमें इंफाइब्यूलेशन की प्रक्रिया बहुत ही दर्दनाक थी। इसके तहत महिलाओं के जननांगों के टिश्यूस को ब्लेड से काट दिया जाता है। इससे लड़कियों और महिलाओं के शरीर के प्राकृतिक कार्यों से छेड़छाड़ की जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रथा को महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है। ये कुप्रथा अधिकतर इस्लामिक समाज और रुढ़िवादी ईसाई धर्म में भी की जाती है।
visited a doctor, who said that along the years after my infibulation, the skin had grown together to partially cover the small hole left for me to pee and menstruate!
— GIRDLE #EndFGM #Endchildmarriage: News! Advocacy! (@thegirdlengr) February 16, 2022
The doctor called it “spontaneous adhesion” and advised that I should have a surgery to open it, so that I could
इंफाइब्यूलेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिला के बाहरी जननांग को हटाने के बाद योनि को सिल दिया जाता है, जो बहुत ही कष्टकारी होता है। पूरे लेबिया मेजा को एक साथ सिलने के बाद, पेशाब और मासिक धर्म के लिए केवल एक छोटा सा छेद छोड़ा जाता है। ऐसे में टाँके को खोले बिना सेक्स नहीं किया जा सकता है। निकाह के बाद पहली रात में महिला का पति इसे खोलता है। फीमेल इनफिब्यूलेशन को टाइप III FGM कहा जाता है, जो कि पूर्वोत्तर अफ्रीकी देशों में प्रचलित है।
सोमालिया की हिबाक कहती हैं कि 8 साल की उम्र में ही उसका टाइप III FGM हुआ था। लंबे समय तक आपस में सटे रहने के कारण उसकी त्वचा जुड़ गई थी। हिबाक बताती हैं कि शादी के बाद उसके पति ने इसे खोलने की कोशिश की, लेकिन, उसकी योनि से खून बहने लगा औऱ वो सेक्स नहीं कर पाया।
हिबाक के मुताबिक, पाँच दिन की कोशिशों के बाद वो पति के साथ डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने उन्हें सर्जरी की सलाह दी, जिससे वो सेक्स कर सके। लेकिन पति ने इससे इनकार करते हुए कहा, “उसे खोलने वाला मैं ही होऊँगा, कोई दूसरा नहीं। यह मेरे लिए शर्म की बात है कि मैं उसे खोलने वाला नहीं हूँ।” इसके साथ ही उसने हिबाक को उसकी बात नहीं मानने पर तलाक की भी धमकी दी। बाद में उसने जबरदस्ती उसे खोल दिया, जिससे वो महीनों दर्द के साए में रही। वो लगातार दो महीने तक अनियंत्रित तरीके से पेशाब करती रही।
हर साल लाखों महिलाएँ बनती हैं इसकी शिकार
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के 30 से अधिक देशों में आज 200 मिलियन ऐसी महिलाएँ हैं, जो FGM की कुप्रथा का शिकार हो चुकी हैं। दुनियाभर में हर साल करीब 4 मिलियन लड़कियाँ इसकी शिकार होती हैं।
My #FGM HeartBreak💔
— GIRDLE #EndFGM #Endchildmarriage: News! Advocacy! (@thegirdlengr) February 4, 2022
Rahma Wako Recalls Hers:
“I was cut and sewn at the age of six! After one week, they used a hot iron rod to heat the place where they cut. I took 40 days to heal. In the 40 days, I could not go to the toilet properly. I couldn’t do anything properly.
“Things pic.twitter.com/J0zpXkqEWl
FGM से होने वाली दिक्कतों के इलाज में 2018 के लिए 1.4 बिलियन डॉलर की लागत आँकी गई थी। इस प्रथा के चलते स्वास्थ्य लागत 2047 तक बढ़कर $2.3 बिलियन होने की उम्मीद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2030 तक इस प्रथा को खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
क्लिटोरिस को हराम की बोटी मानते हैं मुस्लिम
खतना इस्लाम और यहूदी समुदाय दोनों में होता है, जिसमें लड़की के क्लिटोरिस को काट दिया जाता है। इस्लाम में इसे ‘हराम की बोटी’ कहा जाता है। मुस्लिमों में चार तरह के खतने किए जाते हैं, जो कि अमानवीयता की नई ही दास्तां बयाँ करते हैं।