मंगलवार (11 अप्रैल 2023) की सुबह 8.00 बजे म्यांमार की फौज ने विरोधियों पर ‘एयर स्ट्राइक’ का दावा किया, लेकिन शिकार बनी आम जनता। इस हवाई हमले में महिलाओं और बच्चों समेत 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है। म्यांमार की मिलिट्री जुंटा (Military Junta) की तरफ से हमले की पुष्टि की गई है। बताया जा रहा है कि म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोग एक समारोह में हिस्सा ले रहे थे। इसी दौरान उनपर बम बरसा दिए गए।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सागैंग के कनबालु टाउनशिप इलाके में पजीगी गाँव के पास सैन्य शासन को अस्वीकार करने वाले लोग जुटे हुए थे। विद्रोही गुट के लोग अपने स्थानीय कार्यालय का उद्घाटन कर रहे थे। इस मौके पर औरतों और बच्चों समेत 150 के करीब स्थानीय लोग मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान ही जुंटा आर्मी ने हमला कर दिया।
(2/2) Around 100 people, including many children, in central #Myanmar have been reportedly killed in airstrikes carried out by the ruling junta.@eriknjoka talks to @reporterdavid to understand the situation in Myanmar
— WION (@WIONews) April 12, 2023
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प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया को जानकारी दी कि लड़ाकू विमानों ने भीड़ को निशाना बनाकर बम बरसा दिए। बताया जा रहा है कि हमले में मारे गए 100 से अधिक लोगों में 20-30 बच्चे शामिल हैं। लोगों ने बताया कि बम बरसाने के आधे घंटे बाद एक हेलीकॉप्टर से गोलियाँ भी चलाई गईं। मारे गए लोगों में स्थानीय तौर पर बनाए गए सरकार विरोधी गुट और दूसरे विपक्षी संस्थान के लोग शामिल हैं।
रिपोर्टों के अनुसार म्यांमार सैन्य सरकार के प्रवक्ता ने सरकारी टेलीवीजन पर हमले की बात स्वीकार की है। मंगलवार रात दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि विद्रोही गुट के ऑफिस के उद्घाटन के दौरान हमला किया गया। फौज की तरफ से विद्रोहियों पर सैन्य सरकार के विरुद्ध हिंसक अभियान चलाने की तैयारी का आरोप लगाया। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार कुछ मौतों के लिए जिम्मेदार विद्रोहियों द्वारा इलाके में बिछाई गई माइन्स भी हैं।
बता दें कि म्यांमार में 1 फरवरी, 2021 की आधी रात तख्तापलट कर दिया गया था। वहाँ की लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इन प्रदर्शनों को वहाँ की सेना ने क्रूरता पूर्वक दबाया। प्रदर्शनकारियों और सैन्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को गोलियों से भून दिया गया।