चीन समर्थक नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को जबरदस्त झटका लगा है। राष्ट्रपति के चुनाव में ओली की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनिफाइड मार्कसिस्ट-लेननिस्ट (CPN-UML) के उम्मीदवार को हार हुई है। वहीं, प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के उम्मीदवार अब नेपाल के नए राष्ट्रपति बनेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पार्टी ‘नेपाली कॉन्ग्रेस’ के नेता रामचंद्र पौडेल नेपाल के नए राष्ट्रपति होंगे। पौडेल ने गुरुवार (9 मार्च 2023) को हुए चुनाव में सुभाषचंद्र नेमबांग को हराया। पौडेल को 33,802 मत मिले, जबकि नेमबांग को 15,518 वोट ही मिले। नेपाल संसद के स्पीकर रह चुके पौडेल वर्तमान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की जगह लेंगे। बिद्या देवी का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
रामचंद्र पौडेल को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी सहित 8 पार्टियों को समर्थन मिला। वहीं, CPN-UML के उम्मीदवार सुभाष नेमबांग को अपनी पार्टी के अलावा निर्दलीय सदस्यों का समर्थन मिलने की उम्मीद थी। उधर, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) ने किसी भी उम्मीदवार को समर्थन नहीं देने का फैसला किया था।
बता दें कि हाल ही में हुए नेपाल में लोकसभा के चुनाव में प्रचंड और ओली के पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। इसके बाद प्रचंड 26 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री बने थे। उस दौरान प्रचंड और ओली के बीच ढाई-ढाई साल प्रधानमंत्री बनने का समझौता हुआ था। हालाँकि, ओली की पार्टी CPN-UML) ने 27 फरवरी 2023 को गठबंधन से अलग होने का फैसला ले लिया।
दरअसल, प्रधानमंत्री प्रचंड ने CPN-UML के राष्ट्रपति उम्मीदवार की जगह नेपाल कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला किया था। इसके बाद ओली भड़क गए और सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। वहीं, इसी बात से नाराज होकर नेपाल के उप-प्रधानमंत्री राजेंद्र सिंह लिंगदेन समेत राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के 4 मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं।
नेपाल की लोकसभा में 275 सीटें हैं और बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत होती है। ओली के गठबंधन से अलग होने के बाद प्रचंड की सरकार पर अलग नहीं पड़ेगा। CPN-UML के गठबंधन से अलग होने के बाद नेपाली कॉन्ग्रेस सरकार को समर्थन देगी। ओली के 79 सांसद थे, जबकि नेपाल कॉन्ग्रेस के 89 सांसद हैं।
प्रचंड का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में पोखरा में हुआ था। 68 वर्षीय प्रचंड को चीन के सहयोग से नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र का तमगा खत्म करने का श्रेय जाता है। उन्होंने 90 के दशक में नेपाल में हिंसक विरोध शुरू किया था। उन पर 17000 से अधिक लोगों की हत्या का आरोप है। हालाँकि, उन्होंने स्वीकार किया था कि 5000 लोगों की हत्या के लिए वे जिम्मेवार हैं।
प्रचंड ने 15 जनवरी 2020 को काठमांडू में एक कार्यक्रम में प्रचंड ने कहा था, “मुझ पर 17000 लोगों की हत्या का आरोप लगाया जाता है जो सच नहीं है। मैं संघर्ष के दौरान 5,000 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूँ।” प्रचंड ने कहा था कि शेष 12000 हत्याओं की जिम्मेदारी ‘सामंती’ सरकार ले। उन्होंने बाकी हत्याओं की जिम्मेवारी राजशाही पर डाल दी थी।
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रचंड के बयान का संज्ञान लिया और कोर्ट के निर्देश के बाद पीड़ित पक्ष की तरफ से वकीलों ने मुकदमा दर्ज कराया। प्रधानमंत्री प्रचण्ड के खिलाफ दो अलग-अलग रिट याचिका दायर की गई है। दोनों की सुनवाई एक साथ होगी।