पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का बुशरा बीबी (Bushra Bibi) से निकाह जायज नहीं है। मौलवी मुफ्ती सईद का कहना है कि यह निकाह इस्लामी शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुआ था। इसी मौलवी ने दोनों का निकाह करवाया था। इस्लामाबाद की अदालत में मोहम्मद हनीफ की याचिका पर सुनवाई के दौरान मौलवी ने यह बात कही।
मौलवी ने खुलासा किया कि बुशरा बीबी ने निकाह इद्दत के दौरान की गई थी। मुस्लिम महिलाएँ शौहर की मौत अथवा तलाक के बाद दूसरा निकाह इद्दत का समय पूरा करने के बाद ही कर सकती हैं। इस दौरान उन्हें दूसरे पुरुष से निकाह की इस्लाम इजाजत नहीं देता।
इद्दत का समय परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। अमूमन यह करीब 89 दिन का होता है। बुशरा बीबी ने नवंबर 2017 में तलाक लिया था। इमरान खान के साथ उनका निकाह 1 जनवरी 2018 को हुआ था। यानी तलाक और निकाह के बीच 89 दिन का गैप नहीं रखा गया था।
रिपोर्टों के अनुसार मौलवी ने बताया कि उसे 2018 में लाहौर के रक्षा आवास प्राधिकरण में निकाह के लिए ले जाया गया था। खुद को बुशरा बीबी की बहन बताने वाली एक महिला की सहमति के बाद उसने निकाह करवाया था। मौलवी सईद के अनुसार इस महिला ने उनसे कहा था कि शरीयत के हिसाब से निकाह के लिए सभी शर्तें पूरी की गई हैं।
1 जनवरी 2018 को लाहौर में हुए इस निकाह के गवाह इमरान खान के दोस्त जुल्फी बुखारी और उनकी तहीरक-ए-इंसाफ पार्टी के पूर्व नेता अवन चौधरी थे। मौलवी ने अदालत को यह भी बताया कि इमरान खान ने फरवरी 2018 में उनसे दोबारा संपर्क किया। फिर से निकाह कराने को कहा, क्योंकि उनका मानना था कि पहली बार निकाह शरिया कानून के अनुसार नहीं था। दूसरी बार जब मौलवी से संपर्क किया गया था, तब तक इद्दत का समय पूरा हो चुका था।
मुफ्ती ने अदालत को यह भी बताया कि निकाह के समय इमरान खान और बुशरा बीबी दोनों ही इद्दत का समय पूरा नहीं होने के बारे में जानते थे। लेकिन इमरान खान का मानना था कि इस निकाह से उन्हें प्रधानमंत्री बनने में मदद मिलेगी। कथित तौर पर ऐसा मुस्तकबिल किया गया था कि बुशरा बीवी से निकाह के बाद क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन जाएँगे।