पाकिस्तान हर साल 23 मार्च को अपने संविधान को स्वीकृत करने की ख़ुशी में ‘पाकिस्तान दिवस’ मनाता आ रहा है। हालाँकि, इस बार ‘पाकिस्तान दिवस’ मनाने के लिए पड़ोसी मुल्क के पास पैसे नहीं हैं। पाकिस्तानी फ़ौज ने निर्णय लिया है कि 23 मार्च को ‘पाकिस्तान दिवस’ पर आयोजित होने वाली परेड को सीमित स्तर पर ही आयोजित किया जाएगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संस्था IMF से भी लोन लेने के लिए दोबारा वार्ता शुरू की जाएगी।
साथ ही मुल्क के सभी मंत्रियों और अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि वो अपने खर्चे कम करें। इससे पहले ‘पाकिस्तान दिवस’ पर शकर परियाँ परेड ग्राउंड में फ़ौज की परेड आयोजित होती रही है, लेकिन इस बार ये सब राष्ट्रपति भवन में ही किया जाएगा। 1940 में मुस्लिम लीग का ‘लाहौर प्रस्ताव’ भी पारित हुआ था, इसीलिए भी इस्लामी मुल्क के लिए ये तारीख़ महत्वपूर्ण है। इस दिन पाकिस्तान फ़ौज अपना कौशल दिखा कर शक्ति प्रदर्शन करती है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ कह चुके हैं कि सरकारी खर्चों में हर स्तर पर कटौती की जा रही है। इसी क्रम में पाकिस्तानी फ़ौज की पारंपरिक परेड को भी सीमित कर दिया जाएगा। पारंपरिक जुलूसों में खर्च को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस बार ये संभव नहीं हो पाएगा। पाकिस्तान इस वक्त इसी आस में है कि ‘इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड’ से उसे कर्ज मिल जाए और इसके लिए वो वार्ता कर रहा है। IMF की शर्तों को पाकिस्तान पूरा नहीं कर पाया, जिस से पैकेज रुक गया।
This year’s #Pakistan Day Joint Services Parade will be held at the Presidential Palace, Aiwan-e-Sadar, Islamabad.
— STRATCOM Bureau (@OSPSF) February 18, 2023
There will be troop contingents, no military equipment and a small, limited flypast of some aircraft. President Alvi will attend as Chief Guest with minimum guests. https://t.co/QEUvKlstFE pic.twitter.com/PwULmUB6LC
इस बार ‘पाकिस्तान दिवस’ पर अतिथियों की संख्या भी कम कर दी जाएगी। चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती तल्खी के कारण भी पाकिस्तान को घाटा हो रहा है। विदेशी मिशनों की संख्या में भी शाहबाज शरीफ की सरकार कटौती कर रही है। सरकारी खर्च में 15% कटौती के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रियों ने बड़ी जीपों का इस्तेमाल भी बंद कर दिया है। नेताओं, सैन्य अधिकारियों और जजों को भी अब टॉल टैक्स देना पड़ेगा।