हिन्दुओं की आस्था का बेहूदा अपमान करने वाले वाकये में पाकिस्तान की सरकार ने एक हिन्दू दम्पति को PoK स्थित माँ शारदा पीठ के दर्शन के लिए अनुमति देकर पूरी तरह खंडहर हालात में पड़े मन्दिर के बाहर ही रोक दिया। 72 साल से हिन्दुओं के लिए अगम्य रहे इस मन्दिर में दर्शन करने के लिए पीटी वेंकटरमण और सुजाता हॉन्गकॉन्ग से आए थे। लेकिन उन्हें मन्दिर के पास की नदी पर ही पूजा-अर्चना कर लौटना पड़ा।
माँ शारदा के नाम पर ही कश्मीरी भाषा की लिपि
कश्मीरी भाषा की लिपि का नाम भी ‘शारदा’ देवी सरस्वती के ही एक रूप शारदा के नाम पर पड़ा है। इस्लामी हमलों से पहले के भारतवर्ष में यह शक्तिपीठ न केवल आध्यात्म, बल्कि ज्ञान और शिक्षा का भी बहुत बड़ा केंद्र था। आदि शंकराचार्य देवी के दर्शन के लिए आठवीं सदी में केरल से चलकर यहाँ आए थे। लेकिन 1947 में पाकिस्तानी जिहादियों के PoK पर कब्जे के बाद इस पीठ तक जा पाना हिंदुस्तानी हिन्दुओं के लिए असम्भव हो गया।
गोलीबारी पर आस्था भारी
मंदिर के बाहर तक भी जाने के लिए पीटी वेंकटरमण और सुजाता को काफ़ी जद्दोजहद करनी पड़ी और जान का खतरा तक उठाना पड़ा। पहले तो पाकिस्तानी हुकूमत ने उन्हें अनुमति देने से ही मना कर दिया। फिर उन्होंने जब मिन्नत की कि वे हॉन्गकॉन्ग निवासी हैं, तो उन्हें अनुमति किसी तरह मिली। इसमें भी एक एनजीओ ‘सेव शारदा समिति कश्मीर’ से जुड़े रविन्द्र पंडिता के एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाने पर यह संभव हो पाया।
पाक अधिकृत कश्मीर में माँ सरस्वती का निवास, भारत की धरोहर है यह शारदा पीठ
और इसी बीच पाक ने हिंदुस्तान के खिलाफ़ कश्मीर में जिहाद का ऐलान करने और जम्मू-कश्मीर में हिंदुस्तानी सेना के खिलाफ़ मानवाधिकार हनन के प्रोपेगंडा को हवा देने के लिए LOC पर मार्च शुरू कर दिया। जिस रात पीटी वेंकटरमण और सुजाता PoK में थे, उस रात भी जमकर गोलीबारी हुई। उन्हें वहाँ से सुरक्षित निकालने में दो स्थानीय लोगों तनवीर अहमद और मोहम्मद रयीस ने मदद की।