मुस्लिमों का पाक महीना रमजान चल रहा है। भारत का पड़ोसी इस्लामी मुल्क पाकिस्तान ‘खैरात’ के लिए दरवाजा-दर-दरवाजा घूम रहा है। एक तरफ पाकिस्तान अंतराराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज के लिए गुहार लगा है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर सऊदी अरब पहुँचकर हाथ फैला हुए हैं। सऊदी अरब ने रमजान में रोजा खोलने के लिए पाकिस्तानियों को 100 टन खजूर भेंट किया है।
पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि आर्मी चीफ के सऊदी अरब दौरे का असली मकसद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से पैसे माँगना है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी जल्दी ही सऊदी अरब जा सकते हैं, ताकि पैसे के लिए गुहार लगाई जा सके। इस दौरान के दौरान पाकिस्तान और सऊदी अरब ने संयुक्त बयान भी दिया है, जिसमें मजबूत रिश्ते की बात कही गई है।
पाकिस्तानी सेना ने एक बयान में कहा कि प्रिंस सलमान ने कहा कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक भाईचारे वाला मजबूत रिश्ता है। दोनों देश हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़े हैं। बता दें कि पाकिस्तान लगातार सऊदी अरब से लोन माँग रहा है, लेकिन सऊदी अरब ने खैरात देने से साफ कर दिया है। पाकिस्तान को लोन के बदले संपत्ति देनी होगी। ऐसा ही मिस्र भी कर रहा है।
हालाँकि, सऊदी अरब ने भाईचारा निभाते हुए पाकिस्तान को 100 टन खजूर भेजे हैं। आमतौर पर मुस्लिम रोजा खजूर से ही तोड़ते हैं, क्योंकि इस्लाम के शुरुआती दिनों से सऊदी अरब में यही प्रथा है। सऊदी अरब की देखा-देखी अन्य मुस्लिम मुल्क के मुस्लिम भी खजूर से ही अपना रोजा खोलते हैं। इसी रोजे को देखते हुए ही सऊदी अरब ने खजूर का उपहार पाकिस्तान को दिया है।
इसको लेकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सऊदी दूतावास के दूतावास ने कहा, “दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक किंग सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के सम्मानित नेतृत्व की सिफारिश के बाद सऊदी अरब की सरकार ने सद्भावना के संकेत के रूप में रमजान के पाक महीने के दौरान इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के अपने सम्मानित भाइयों में बाँटने के लिए 100 टन खजूर का उपहार देकर खुश है।”
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के 2021 के आँकड़ों के अनुसार, सऊदी अरब दुनिया में खजूर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यहाँ हर साल 16 लाख टन खजूर का पैदावार होता है। वहीं, मिस्र दुनिया में खजूर का सबसे बड़ा उत्पादक मुल्क है। यहाँ 17 लाख टन खजूर उगाए जाते हैं।
उधर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बुधवार (20 मार्च 2024) को कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से चले आ रहे संरचनात्मक सुधारों की दिशा में स्थायी प्रोत्साहन के लिए 24वें मध्यम अवधि के बेलआउट पैकेज की माँग कर रहा है। आईएमएफ ने कहा कि उसके कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के बाद पाकिस्तान को अप्रैल के अंत तक यह पैकेज दिया जा सकता है।