पाकिस्तान ने 9 वर्ष पहले साल 2013 में भारत के आईआईटी को टक्कर देने के लिए एक छोटा MIT बनाने का सपना देखा था। ये सपना आज बुरी तरह बर्बाद हो चुका है। पाकिस्तानियों ने उस जगह जहाँ छोटे MIT यानी ITU (इंडियन टेक्नॉलजी इंस्टिट्यूट) का निर्माण होना था, वहाँ बकरा मंडी खोल ली है।
इस बात की जानकारी इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति उमर सैफ ने दी। उन्होंने देश के शिक्षा तंत्र पर हताशा जताते हुए उस जगह की तस्वीर दिखाई जहाँ MIT तैयार करने का निर्णय लिया गया था। अब ये जगह बकरा मंडी है और गाड़ी खड़ा करने की पार्किंग भी।
In 2013, we set out to build a little MIT for Pakistan. It had all the ingredients of becoming the equivalent of IIT in India.
— Umar Saif (@umarsaif) July 9, 2022
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… and today, the site marked for its campus has been turned into a Bakra Mandi.
شرم آنی چاہیے ہم سب کو pic.twitter.com/1HLzJRY1mv
उमर सैफ ने अपने ट्वीट में बताया, “साल 2013 में हम लोग पाकिस्तान के लिए एक छोटा MIT बनाने के लिए बिलकुल तैयार थे। उसमें वो सारी चीज होतीं जो भारत के आईआईटी में हैं लेकिन आज वो जगह जिसे हमने इस यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए चुना था वो बकरा मंडी बन गई है।”
अपने ट्वीट के साथ उन्होंने द ट्रिब्यून का एक लिंक भी शेयर किया है। इसमें उन्होंने बता रखा है कि कितनी शिद्दत से उन्होंने चाहा था कि पाकिस्तान में मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (MIT) जैसा संस्थान बने। इसे उन्होंने ‘MIT फॉर पाकिस्तान’ का नाम भी दिया था। उनका मकसद था कि पाकिस्तान में विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एडवांस इनोवेशन और रिसर्च हों। हालाँकि पाकिस्तानियों की सोच के चलते ये संभव नहीं हो पाया।
बता दें कि सैफ MIT में पूर्व लेक्चरर रह चुके हैं और पाकिस्तान में यूनाइटिड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम में सलाकार के तौर पर भी नियुक्त हैं। उन्होंने बहुत कोशिश की कि वह पाकिस्तान को ऐसी एक यूनिवर्सिटी देकर विकास की ओर ले जाएँ लेकिन उन्हें ये देख बहुत हैरानी हुई कि पाकिस्तान में उच्च शिक्षा प्रणाली को लेकर हर कोई सिर्फ चिंतित होने का दिखावा कर रहा था। उनके मुताबिक देश में 700 विश्व विद्यालय थे लेकिन एक को भी वैश्विक स्तर पर रैंक नहीं मिल पाई।
उन्होंने बताया कि उन्होंने इस काम के लिए राजनेताओ से लेकर यूनिवर्सिटी के प्रशासकों को पत्र लिखा था, मगर कुछ काम नहीं आया। उन्हें बदले में ऐसी टिप्पणियाँ सुनने को मिली जिससे उनका हौसला पस्त हो गया। इन टिप्पणियों में एक थी ‘पाकिस्तान को अब ज्यादा पीएचडी लोग नहीं चाहिए’, दूसरी थी- ‘MIT हमारी जूती-पाकिस्तान महान’। इसके अलावा पाकिस्तान के लिए सुनहरे भविष्य का सपना देखने वाले उमर सैफ से ये तक पूछा गया कि आखिर वो पाकिस्तान के शैक्षणिक व्यवस्था के बारे में जानते ही क्या हैं जिसे सुन वो समझ गए कि पाकिस्तान में लोग शिक्षा को लेकर कितने जागरूक हैं।