Financial Action Task Force (FATF) से पाकिस्तान ने लश्कर और जैश को आर्थिक सप्लाई रोकने के लिए जो 27 वादे किए थे, उनमें से 25 वह पूरे करने में नाकाम रहा है। इसके अलावा वह मुखौटा संगठनों जैसे जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर भी लगाम कसने में नाकाम रहा है। इसीलिए FATF की वह ‘ग्रे’ लिस्ट में बना हुआ है और उसकी आर्थिक हालत पतली है, जिसके चलते वहाँ की सेना को भी अपना बजट कम करना पड़ा है।
IMF, World Bank, EU दिखाते रहेंगे ठेंगा
FATF की ग्रे लिस्ट में बने रहने का मतलब है पाकिस्तान को IMF, World Bank, EU जैसे बड़े ‘कर्जदाताओं’ से कर्ज मिलने की संभावना नहीं है। वह उसकी आर्थिक रेटिंग गिराते रहेंगे, जिससे पहले से पतली उसकी अर्थव्यवस्था चरमराने लगेगी। ऑपइंडिया ने यह खबर पहले भी प्रकाशित की थी कि इस आर्थिक संकट में पाकिस्तान को अपनी सेना का बजट भी कम करना पड़ा है।
नहीं झोंक पाया धूल
पकिस्तान ने दुनिया की आँखों में धूल झोंकने के लिए लश्कर, जैश जैसे संगठनों के काडर को गिरफ्तार करने का नाटक किया था। लेकिन यह गिरफ़्तारी Anti-Terrorism Act, 1997 के अंतर्गत नहीं, Maintenance of Public Order (MPO) Act के अंतर्गत हुई थी। इसमें अधिकतम 60 दिन तक ही उन्हें जेल में रखा जा सकता है। पहले भी पाकिस्तान जिहाद के सरगनाओं मसूद अज़हर और हाफ़िज़ सईद को जेल में डालने का नाटक कर चुका है। लेकिन कभी भी उन्हें आतंक-रोधी धाराओं में मुकदमे चला कर सजा दे पाने में पाकिस्तान नाकाम ही रहा है।
इसके अलावा केवल गिरफ़्तारी ही FATF की माँग भी नहीं थी। FATF ने पाकिस्तान को खातों पर रोक, हथियारों तक पहुँच न होने देने और यात्रा प्रतिबंधों की भी शर्त रखी थी। इसके अलावा FATF चाहता था कि जिहादियों पर आर्थिक दंड भी इतनी बड़ी राशि का हो जो जिहाद से हतोत्साहित कर सके। MPO के अंतर्गत गिरफ्तारी से इनमें से कुछ भी नहीं किया जा सकता।
जिहादियों के मदरसों के लिए 70 लाख डॉलर?
FATF ने यह भी पूछा है कि क्या पाकिस्तान ने कोई जाँच इस मामले पर बिठाई है कि 70 लाख अमेरिकी डॉलर कथित रूप से जिहादियों से तकनीकी रूप से जब्त किए गए मदरसों, स्कूलों, अस्पतालों आदि को बदस्तूर जारी रखने और उनके रख-रखाव में खर्च हो रहे हैं। इसमें से 20 लाख डॉलर पाकिस्तानी पंजाब और बाकी 50 लाख डॉलर बाकी समूचे पाकिस्तान में खर्च हो रहे हैं।
पाकिस्तान को FATF में ब्लैकलिस्ट किए जाने की भारत माँग करता रहा है। जवाब में पाकिस्तान में भारत को उसके एशिया-प्रशांत सह-चेयर पद से हटाए जाने की माँग की है। इसके लिए उसने दोनों देशों के बिगड़े संबंधों का हवाला दिया है।