जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी किए जाने के बाद से गीदड़ भभकी पर उतरे पाकिस्तान की नींद गुलाम कश्मीर के लोगों ने उड़ा रखी है। गिलगित-बाल्टिस्तान के हाथ से निकलने के डर से वह सहमा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के मसले पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में वह अलग-थलग पड़ गया है। इतना ही नहीं, डूबती अर्थव्यवस्था, महंगाई और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी की वजह से घर के भीतर भी इमरान खान की सरकार की बात नहीं सुनी जा रही है।
सोमवार को बकरीद के मौके पर गुलाम कश्मीर के मुजफ्फराबाद पहुँचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर के मसले पर राजनीतिक दलों से एकजुटता की अपील करते हुए कहा कि हमारे बीच मतभेद हैं। लेकिन, कश्मीर पर एकजुटता नहीं दिखाई तो हमें नुकसान हो सकता है। उनका इशारा बीते सप्ताह पाकिस्तानी संसद में भारत के खिलाफ प्रस्ताव की भाषा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उभरे मतभेद को लेकर था।
गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने से जुड़े सवाल को लेकर उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर पर पाकिस्तान के स्टैंड को नुकसान पहुॅंचेगा। उन्होंने कहा कि इस मसले पर कैबिनेट में चर्चा हुई थी। उन्होंने यह बात ऐसे वक्त में कही है जब पाकिस्तान से अलग होने की मॉंग को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान में विरोध-प्रदर्शन जोरों पर है।
Foreign minister Shah Mamood Quereshi is saying no Pakistani or Kashmiri should live in a fool’s paradise re Kashmir, UN Security Council is not standing with pholon k haar. pic.twitter.com/TRjf6e3VG1
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) August 12, 2019
जम्मू-कश्मीर के मसले पर वैश्विक समर्थन नहीं मिलने को लेकर कुरैशी ने कहा, “हमें मूर्खों के स्वर्ग में नहीं रहना चाहिए। पाकिस्तानी और कश्मीरियों को यह जानना चाहिए कि कोई आपके लिए नहीं खड़ा है। आपको जद्दोजहद करना होगा।” इसके बाद उन्होंने कहा, ” जज्बात उभारना बहुत आसान है, मुझे दो मिनट लगेंगे। 35-36 साल से सियासत कर रहा हूँ, बाएँ हाथ का काम है। जज्बात उभारना आसान है, ऐतराज उससे भी आसान है। लेकिन, मसले को आगे की तरफ ले जाना कठिन है।”
कुरैशी ने आर्टिकल 370 पर दुनिया के अन्य देशों के पाकिस्तान से किनारा करने की बात को सामने रखते हुए कहा, “दुनिया के उनके साथ हित जुड़े हुए हैं। एक अरब की मार्केट है। बहुत से लोगों ने वहाँ इन्वेस्टमेंट कर रखे हैं। हम उम्मा की बात तो करते हैं, लेकिन कई मुस्लिम देशों ने भी वहाँ इन्वेस्टमेंट किया हुआ है। “